साढ़े तीन करोड़ रुपये मुआवजा दे रेलवे : कोर्ट
भारतीय रेलवे को ऊना जिला के बीजापुर गांव के एक परिवार को अब तक का सबसे बड़ा मुआवजा लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये अदा करना होगा। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ऊना की सर्किट बैंच ने अम्ब में रेलवे को यह मुआवजा 17 जून तक अदा करने को कहा है।
ऊना। भारतीय रेलवे को ऊना जिला के बीजापुर गांव के एक परिवार को अब तक का सबसे बड़ा मुआवजा लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये अदा करना होगा। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ऊना की सर्किट बैंच ने अम्ब में रेलवे को यह मुआवजा 17 जून तक अदा करने को कहा है।
बीजापुर के मदन लाल व उनके परिवार की कई कनाल भूमि रेलवे ट्रैक के नीचे आ गई थी। ट्रैक बनाने के लिए वर्ष 2005-06 में जमीन का अधिग्रहण हुआ था। रेलवे द्वारा अधिकृत प्रदेश राजस्व विभाग ने भूमि अधिग्रहण के दस्तावेज तैयार किए थे। इन दस्तावेजों के आधार पर सरकारी दर पर मुआवजा तय किया गया। यह मुआवजा न तो भूमि मालिकों को मंजूर था और न ही वे यहां रेलवे ट्रैक के लिए अपनी सहमति से भूमि देने के लिए राजी थे।
भूमि मालिकों की ओर से मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता अरुण सैणी ने कहा कि उपजाऊ भूमि के मुआवजे को लेकर मामला अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ऊना की अदालत में दायर किया गया था। अदालत ने उनके पक्ष को सही मानते हुए रेलवे से मुआवजा अदा करने को कहा था।
इस फैसले के खिलाफ रेलवे उच्च न्यायालय में चला गया। उच्च न्यायालय रेलवे के तर्क से सहमत नहीं हुआ और मई 2014 को निचली अदालत के फैसले जिसमें रेलवे को ब्याज सहित मुआवजा अदा करने के आदेश थे, को बरकरार रखा।
बीजापुर के मदन लाल समेत उनके परिवार के छह सदस्यों ने अदालत को उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए मुआवजा दिलाने का आग्रह किया था। इस मामले में रेलवे को अदालत की ओर से नोटिस जारी हुआ है कि राशि 17 जून तक जमा करवाई जाए। हालांकि जब निचली अदालत ने इस मामले पर फैसला सुनाया था तो यह राशि करीब सवा तीन करोड़ थी। ब्याज समेत यह राशि बढ़ चुकी है।