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संघ के गढ़ में कमल खिलाने की चुनौती

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय होने के बावजूद आज तक कोई सौ फीसद भाजपाई नेता नागपुर से लोकसभा चुनाव नहीं जीत सका है। इस चुनौती से पार पाने का बीड़ा इस बार भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उठा रखा है। नागपुर कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है। 1

By Edited By: Published: Tue, 08 Apr 2014 12:17 AM (IST)Updated: Tue, 08 Apr 2014 12:18 AM (IST)

नागपुर [ओमप्रकाश तिवारी]। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय होने के बावजूद आज तक कोई सौ फीसद भाजपाई नेता नागपुर से लोकसभा चुनाव नहीं जीत सका है। इस चुनौती से पार पाने का बीड़ा इस बार भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उठा रखा है।

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नागपुर कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है। 1952 के पहले चुनाव से अब तक सिर्फ तीन बार यहां कांग्रेस हारी है। 1962 में निर्दलीय बापू जी अणे से, 1971 में फॉरवर्ड ब्लॉक के जांबवंतराव धोटे से और 1996 में कांग्रेस से भाजपाई बने बनवारीलाल पुरोहित से। दो बार कांग्रेस के सांसद रह चुके बनवारीलाल पुरोहित प्रचंड राम लहर में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए थे। नागपुर में यह पहला अवसर है, जब नितिन गडकरी जैसा कोई संघ का स्वयंसेवक मजबूती के साथ संतरों की नगरी में कमल खिलाने की तैयारी करता दिख रहा है। 1985 में पश्चिमी नागपुर से विधानसभा का चुनाव हारने के बाद से गडकरी ने अब तक कोई सीधा चुनाव नहीं लड़ा है। यही कारण है कि उनकी पार्टी में भी उनके विरोधी उन पर हवाई नेता होने का आरोप मढ़ते रहते हैं।

संभवत: इसी आरोप से निजात पाने के लिए गडकरी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी लगभग पांच साल पहले हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ही कर दी थी। तब गडकरी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष थे और नागपुर की छह में चार विधानसभा सीटें जितवाकर लाए थे। आज ये चारों भाजपाई विधायक उनके लिए जमकर काम कर रहे हैं।

दूसरी ओर कांग्रेस के टिकट पर पिछले चार लोकसभा चुनाव जीत चुके विलास मुत्तेमवार को नागपुर कांग्रेस की अंतर्कलह का सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि मुत्तेमवार से ज्यादा मजबूत हवा तो आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार अंजली दमानिया की दिखाई दे रही है, लेकिन नागपुर में बाहरी उम्मीदवार होना अंजली के भी पांव जमने नहीं दे रहा है।

15 वर्ष पहले राज्य की शिवसेना-भाजपा सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री के रूप में गडकरी द्वारा किया गया काम भी उनके काम आ रहा है। इन कार्यो की बदौलत उस दौर में ही गडकरी की छवि काम करने वाले नेता की बन चुकी थी। शायद यही कारण है कि हाल के महीनों में आम आदमी पार्टी द्वारा उन पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों का कोई खास असर नागपुर में नजर नहीं आ रहा है। केजरीवाल का रोड शो यहां फ्लॉप हो चुका है। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी द्वारा अगल-बगल के क्षेत्रों में सभाएं करने एवं नागपुर न आने के सवाल पर गडकरी कहते हैं कि मोदी की सभाएं वहां जरूरी थीं, जहां 20-25 हजार के अंतर से राजग की जीत प्रभावित हो रही हो। यहां तो हम स्वयं करीब एक लाख से जीत रहे हैं।

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