यूजीसी को जल्दबादी में खत्म करने के पक्ष में नहीं केंद्र
केंद्र सरकार ने कहा है कि वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को किसी जल्दबाजी में समाप्त करने के पक्ष में नहीं है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा है कि इसका गठन संसद के कानून के जरिये किया गया है और ऐसा कोई फैसला लेने से पहले सभी पक्षों
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को किसी जल्दबाजी में समाप्त करने के पक्ष में नहीं है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा है कि इसका गठन संसद के कानून के जरिये किया गया है और ऐसा कोई फैसला लेने से पहले सभी पक्षों से सलाह जरूर ली जाएगी।
मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि इसने यूजीसी के काम-काज की समीक्षा के लिए देश के शीर्ष विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी। डा. हरि गौतम की अध्यक्षता में बनाई गई इस समिति ने उच्च शिक्षा सचिव को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, लेकिन मंत्रालय ने अब तक इसका अध्ययन नहीं किया है। इसमें कहा गया है कि इस समिति की रिपोर्ट के बावजूद तत्काल मंत्रालय ऐसा कोई कदम नहीं उठाने जा रहा।
पहले मंत्रालय इस रिपोर्ट पर विमर्श कर इसकी सिफारिशों के असर को समझने की कोशिश करेगा। साथ ही मंत्रालय ने कहा है कि यूजीसी का गठन संसद में पास कानून के जरिये किया गया है, इसलिए इस संबंध में कोई एकतरफा फैसला नहीं किया जा सकता।
इससे पहले गौतम की अध्यक्षता वाली इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यूजीसी मौजूदा परिस्थिति में अपनी जिम्मेवारियों को निभाने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। इसलिए इसे भंग कर इसकी जगह राष्ट्रीय उच्च शिक्षा प्राधिकरण गठित किया जाए।
इसने नई इकाई के लिए कानून का मसौदा भी पेश किया है। साथ ही कहा है कि मौजूदा तंत्र में सुधार कर इसे चलाने की कोशिश का कोई फायदा नहीं होगा। जब तक नया कानून संसद से पास नहीं हो जाता तब तक इसमें कुछ बदलाव कर इसे चलाया जा सकता है। इस समिति ने पीएचडी के छात्रों के लिए अलग से एक एप्टीट्यूड टेस्ट शुरू करने की सिफारिश भी की है।