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स्मृति ईरानी को ले बिहार विधानसभा में जोरदार हंगामा

केंद्रीय शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी पर राजद सदस्य अख्तरूल इस्लाम शाहीन की टिप्पणी पर बिहार विधानसभा में मंगलवार को जोरदार हंगामा हुआ। विपक्ष के सभी सदस्य वेल में आकर शोर-शराबा करने लगे। कुर्सियां रिपोर्टर टेबुल पर जोर-जोर से पटकने लगे।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2015 11:47 AM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2015 11:49 AM (IST)

पटना। केंद्रीय शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी पर राजद सदस्य अख्तरूल इस्लाम शाहीन की टिप्पणी पर बिहार विधानसभा में मंगलवार को जोरदार हंगामा हुआ। विपक्ष के सभी सदस्य वेल में आकर शोर-शराबा करने लगे। कुर्सियां रिपोर्टर टेबुल पर जोर-जोर से पटकने लगे। नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव भी वेल में आकर धरना पर बैठ गए। स्थिति को देख विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित कर दी। दोबारा कार्यवाही आरंभ हुई तो राजद विधायक दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने खेद व्यक्त किया। उनके अनुरोध पर सदन की कार्यवाही से वह टिप्पणी विलोपित कर दी गई। नेता प्रतिपक्ष ने भी हंगामे के लिए खेद व्यक्त किया। संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने सत्ता पक्ष की ओर से खेद प्रकट किया।

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हंगामा उस समय हुआ जब वित्त मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव द्वारा सदन में पेश लेखानुदान पर जारी बहस में शाहीन अपनी बातें रख रहे थे। उन्होंने स्मृति ईरानी की चर्चा करते हुए कहा कि मात्र मैट्रिक पास को कैसे शिक्षा मंत्री बना दिया गया, लगता है उनके मिस इंडिया रहने के कारण उन्हें शिक्षा मंत्री बनाया गया है। इस पर भाजपा सदस्य जोरदार विरोध जताते हुए वेल में आ गए। श्रवण कुमार ने कहा कि भाजपा को संसदीय लोकतंत्र में विश्वास नहीं है। वेल में आकर कुर्सी पटकने जैसा आचरण मैंने अपने 25 साल के संसदीय जीवन में नहीं देखा है। तभी पीछे से किसी ने नेता प्रतिपक्ष पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। फिर हंगामा और बढ़ गया, नेता प्रतिपक्ष वेल में आकर धरना पर बैठ गए। हंगामा देख कार्यवाही 4 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

विधानसभा अध्यक्ष ने सभी दलों के नेताओं को अपने चैंबर में बुलाकर उन्हें पूरे प्रकरण का फूटेज दिखाया। दोबारा कार्यवाही आरंभ हुई तब सिद्दीकी ने कहा कि सदन में जो दृश्य उपस्थित हुआ उससे पक्ष-विपक्ष, दोनों के सदस्यों का सिर शर्म से झुक गया है। सदन में कटू से कटू बात कही जाती है, लेकिन शब्दों के संबंध में सतर्क रहना चाहिए। इसी सदन में जब जननायक कर्पूरी ठाकुर बोलने के लिए खड़े होते थे तब सदस्य ही नहीं विधानसभा कर्मी भी उन्हें सुनना चाहते थे। प्रधानमंत्री, केंद्र सरकार के मंत्री या किसी बड़े नेता पर गैरजरूरी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। सदन में राजद नेता लालू प्रसाद एवं राबड़ी देवी पर भी अनावश्यक टिप्पणी हो जाती है, जो ठीक नहीं है। शाहीन पहली बार विधायक बने हैं, भविष्य में ऐसा नहीं होगा। नंदकिशोर यादव ने हंगामे पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि वैसे शब्दों का प्रयोग नहीं होता तो अच्छा होता। हमारे सदस्यों ने कुर्सी टेबुल पटका है। मैं इसके लिए खेद व्यक्त करता हूं। संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि पक्ष-विपक्ष, दोनों को ही अपनी बात कहने का अधिकार है। सत्ता पक्ष भी कभी-कभी उत्तेजित हो जाता है। मैं उनसे अपील करूंगा कि वह ऐसा नहीं करें। नेता प्रतिपक्ष या किसी सदस्य को तकलीफ पहुंची हो तो उसके लिए मैं खेद प्रकट करता हूं।


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