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जोरदार हंगामे के बीच सदन पटल पर भूमि अध्यादेश

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर तथ्य और तर्कों के बगैर विपक्षी दलों ने राजनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए मंगलवार को संसद में सरकार को फिर घेरा। संख्या बल कम होने के बावजूद सदन में हंगामा किया, जिससे सदन की कार्यवाही को कई मर्तबा स्थगित करना पड़ा। बजट सत्र का दूसरा

By Sudhir JhaEdited By: Published: Mon, 20 Apr 2015 08:25 AM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2015 04:08 AM (IST)
जोरदार हंगामे के बीच सदन पटल पर भूमि अध्यादेश

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर तथ्य और तर्कों के बगैर विपक्षी दलों ने राजनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए मंगलवार को संसद में सरकार को फिर घेरा। संख्या बल कम होने के बावजूद सदन में हंगामा किया, जिससे सदन की कार्यवाही को कई मर्तबा स्थगित करना पड़ा। बजट सत्र का दूसरा चरण मंगलवार को शुरू हुआ, जिसमें पहले दिन ही सरकार ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश सदन पटल पर रखा गया। इस दौरान विपक्षी दलों ने सदन में जबरदस्त शोर शराबा किया।

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कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी

संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने हंगामे के बीच ही अध्यादेश पटल पर रखा। अध्यादेश का विरोध कर रहे कई विपक्षी सदस्य वेल में आ गए और नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने विपक्षी सदस्यों से उनके विरोध की वजह पूछी, लेकिन वे नारेबाजी करते रहे। महाजन ने कहा कि फिलहाल तो सिर्फ अध्यादेश सदन पटल पर रखा गया है जो वैधानिक तौर पर जरूरी है। सरकार ने अभी विधेयक तो रखा नहीं फिर विरोध किस बात के लिए। इसके बावजूद विपक्षी सदस्य हंगामा करते रहे। इसे देखते हुए महाजन ने सवा 12 बजे सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इसके पहले सुबह भी 20 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी।

कई संशोधनों के साथ पटल पर रखा गया है अध्यादेश

दरअसल यह अध्यादेश इस बार कई संशोधनों के साथ दोबारा लोकसभा पटल पर रखा गया है। बाद में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शाम सवा चार बजे किसानों के मुद्दे पर बयान दिया। भूमि अधिग्र्रहण कानून राजनीतिक दलों की प्रतिस्पर्धा में राजनीति विवादों की भेंट चढ़ रहा है। सरकार की ओर से इसके सभी पक्षों पर चर्चा कराए जाने की अपील का विपक्ष पर कोई असर नहीं हुआ। बजट सत्र के पहले चरण में सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन को लेकर सभी राज्यों के साथ सलाह-मशविरा की थी। ज्यादातर राज्यों की बातों को ध्यान में रखकर इसमें संशोधन किए गए हैं।

राजनीतिक जमीन तलाश रहे विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा

कांग्रेस अथवा सपा अपनी ही राज्य सरकारों की सिफारिशों को अब सुनने तक को तैयार नहीं है। लोकसभा चुनाव में राजनीतिक जमीन तलाश रही पार्टियां इसे मुद्दा बनाकर केंद्र सरकार पर हमलावर हो गई हैं। सभी राजनीतिक दलों ने इस मसले पर एक दूसरे से हाथ मिला लिया है। विरोधी दलों को इसके लिए अध्यादेश जारी करने की बात पर सख्त एतराज है लेकिन सरकार के पास इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा था। इसी अध्यादेश को दोबारा जारी करने के लिए सरकार को कानूनी सलाह से राज्यसभा का सत्रावसान तक कराना पड़ा। सदन में कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी, वाम मोर्चा, तृणमूल कांग्रेस और राजद ने भी हंगामा किया।

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