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बॉम्बे HC का फैसला, हाजी अली दरगाह के मजार तक जा सकेंगी महिलाएं

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाजी अली दरगाह में महिलाओं की एंट्री पर बैन को हटा दिया है।

By kishor joshiEdited By: Published: Fri, 26 Aug 2016 11:12 AM (IST)Updated: Fri, 26 Aug 2016 08:30 PM (IST)

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राज्य ब्यूरो, मुंबई : बांबे हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में महिलाओं को हाजी अली दरगाह की मजार तक जाने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने महिलाओं को इससे वंचित करने को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना है। हाजी अली दरगाह ट्रस्ट ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। इसे देखते हुए हाई कोर्ट ने अपने फैसले पर छह सप्ताह तक के लिए रोक लगा दी।

जस्टिस वीएम कनाडे और जस्टिस रेवती मोहिते डेरे की खंडपीठ ने जकिया सोमन और नूरजहां नियाज की जनहित याचिका पर शुक्रवार को फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने जून में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने कहा, 'महिलाओं को हाजी अली दरगाह की मजार तक जाने से रोकना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता), 15 (धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव का निषेध), 19 (कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता), 21 (व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) और 25 (धर्म को मानने एवं प्रचार की स्वतंत्रता) के विरुद्ध है। पुरुषों की तरह महिलाओं को भी मजार तक जाने की इजाजत दी जानी चाहिए।'

जानिए! हाजी अली में महिलाओं के प्रवेश पर क्यों है रोक? क्या है दरगाह का इतिहास?

कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और हाजी अली दरगाह ट्रस्ट को मजार तक जाने वाली महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं। कुछ वर्ष पहले तक मजार तक महिलाएं भी जाया करती थीं। लेकिन, मार्च, 2012 के बाद दरगाह ट्रस्ट ने मजार तक महिलाओं के जाने पर प्रतिबंध लगा दिया।

ट्रस्ट का पक्ष:

दरगाह ट्रस्ट के वकील शोएब मेमन ने दलील दी थी कि संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत धार्मिक ट्रस्ट को अपने नियम निर्धारित करने का अधिकार है, लेकिन कोर्ट इससे सहमत नहीं हुआ। दरगाह के ट्रस्टी हाजी रफत ने कोर्ट के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस तरह के धार्मिक मामले में हाई कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था। इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी।

दो साल पहले दायर की याचिका:

अगस्त, 2014 में भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की सदस्य नूरजहां सफिया नियाज ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मजार तक जाने की अनुमति मांगी थी। मुस्लिम महिला आंदोलन को हाल ही में शनि शिंगनापुर और ˜यंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह तक महिलाओं के प्रवेश के लिए आंदोलन करनेवाली भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई सहित कुछ और संगठनों का समर्थन मिल रहा था। तृप्ति देसाई ने 28 अगस्त को दरगाह जाने की बात कही है।

हाजी अली दरगाह:

हाजी अली दरगाह मुंबई के वरली समुद्र तट के निकट छोटे से टापू पर स्थित है। इसे सय्यद पीर हाजी अली शाह बुखारी की स्मृति में वर्ष 1431 में बनाया गया था। मुस्लिमों के साथ हिंदू समुदाय भी दरगाह में आस्था रखता है। ट्रस्ट के अनुसार, हाजी अली उज्बेकिस्तान के बुखारा प्रांत से सारी दुनिया का भ्रमण करते हुए भारत पहुंचे थे। दरगाह 4500 वर्ग मीटर में फैला है। दरगाह के निकट एक 85 फीट ऊंची मीनार है जो इस परिसर की पहचान है।

पढ़ें- हाजी अली में नहीं घुस पाईं तृप्ति देसाई

प्रतिबंध के पक्ष में कोर्ट में प्रमुख रूप से पेश तीन तर्क:

1. झुकने पर चौड़े गले की ब्लाउज पहनने वाली महिलाओं के वक्षस्थल दिख जाते हैं
2. इस्लाम भीड़ में महिलाओं और पुरुषों को घुलने-मिलने की इजाजत नहीं देता। (इस सिलसिले में दरगाह में छेड़खानी और महिलाओं के सामान की चोरी की घटनाओं की रिपोर्ट के साथ कुरान और हदीस की आयतें भी कोर्ट में पेश की गई।)
3. दरगाह की मजार तक महिलाओं के प्रवेश पर रोक इस्लाम का अनिवार्य और अभिन्न हिस्सा है
तारीखों में जानें यह विवाद:
- जून, 2012: मजार में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी
- 16 नवंबर, 2014: बांबे हाईकोर्ट में पाबंदी को चुनौती
- 18 जनवरी, 2016: बांबे हाइकोर्ट ने कहा, सबरीमाला केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे
- 3 फरवरी, 2016: हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की राय भी मांगी
- 9 फरवरी, 2016: महाराष्ट्र सरकार ने महिलाओं के प्रवेश का समर्थन किया
- 25 अप्रैल, 2016: सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला पर त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड की खिंचाई की। पूछा कि क्या मासिक धर्म में महिलाओं की पवित्रता मापी जा सकती है?
- 12 मई, 2016: मंज़ूर इलाके तक कुछ महिलाओं को जाने की अनुमति


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