श्रम सुधारों के कठिन रास्ते पर आगे बढ़ने की साहसिक पहल
अपने कार्यकाल के पहले साल में मोदी सरकार ने श्रम सुधारों के कठिन रास्ते पर आगे बढऩे का साहसिक प्रयास किया है। लेकिन, कामयाबी इंस्पेक्टर राज के मोर्चे पर ज्यादा मिली है। इस दौरान जहां एक तरफ सरकार ने श्रम संबंधी मसलों को लेकर अपना एजेंडा स्पष्ट किया, वहीं विभिन्न
नई दिल्ली [संजय सिंह]। अपने कार्यकाल के पहले साल में मोदी सरकार ने श्रम सुधारों के कठिन रास्ते पर आगे बढऩे का साहसिक प्रयास किया है। लेकिन, कामयाबी इंस्पेक्टर राज के मोर्चे पर ज्यादा मिली है। इस दौरान जहां एक तरफ सरकार ने श्रम संबंधी मसलों को लेकर अपना एजेंडा स्पष्ट किया, वहीं विभिन्न पोर्टलों के जरिये श्रम प्रक्रियाओं को सुविधाजनक व पारदर्शी बनाने में काफी हद तक कामयाबी हासिल की।
विश्व बैंक के अनुसार भारत उन देशों में शामिल है जहां सबसे कड़े श्रम कानून हैं। लिहाजा सत्ता संभालते ही सरकार ने कारोबार में अवरोधक साबित हो रहे विभिन्न केंद्रीय श्रम कानूनों को बदलने का बीड़ा उठाया। हालांकि केवल दो कानूनों में संशोधन करा सकी। इनमें अप्रेंटिसशिप एक्ट और लेबर लॉ शामिल हैं।
लेबर लॉ में संशोधन इस लिहाज से विशेष महत्वपूर्ण है क्योंकि अब 10 से लेकर 40 तक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को लघु प्रतिष्ठान माना जाएगा और उन्हें केवल एक एकीकृत ऑनलाइन रिटर्न भरने की जरूरत होगी। इससे पहले 10-19 तक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान ही लघु प्रतिष्ठान की श्रेणी में आते थे और उन्हें अलग-अलग कई रिटर्न भरने पड़ते थे। इन दिनों सरकार एक श्रम संहिता (लेबर कोड) तैयार करने में जुटी है, जिसके तहत कई श्रम कानूनों को मिलाकर एक कानून बनाया जाएगा।
श्रम सुविधा समेत कई नए पोर्टल
प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान के तहत कारोबार आसान बनाने के लिए केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने कई पोर्टल प्रारंभ किए हैं। इनमें श्रम सुविधा पोर्टल प्रमुख है जिसके जरिये इकाइयों और इंस्पेक्टरों दोनों के लिए रिपोर्टिंग की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है। अब लेबर इंस्पेक्टर अपनी मनमर्जी से फैक्ट्रियों का निरीक्षण नहीं कर सकेंगे। साथ ही उन्हें तीन दिन के अंदर निरीक्षण रिपोर्ट ऑनलाइन करनी होगी।
कभी भी देखें ईपीएफ बैलेंस
इसके अलावा श्रम कानूनों के अनुपालन व सामाजिक सुरक्षा स्कीमों की पहुंच बढ़ाने व प्रक्रियाओं को पारदर्शी व आसान बनाने के लिए अद्वितीय पहचान नंबर जारी किए गए हैं। अब प्रत्येक फैक्ट्री कर्मचारी का एक यूनिक लेबर आइडेंटीफिकेशन नंबर (लिन) होगा। इसी तरह सदस्य कर्मचारियों को यूनिवर्सल एकाउंट नंबर (यूएएन) जारी किए गए हैं। इसके जरिये कोई भी कर्मचारी कभी भी ईपीएफओ के पोर्टल पर जाकर अपना ईपीएफ बैलेंस देख सकता है। नौकरी बदलने के बावजूद अपने पुराने ईपीएफ खाते को बरकरार रख सकता है। यही नहीं, भूले-बिसरे ईपीएफ खातों में पड़े पैसे को निकालना भी अब संभव हो गया है। नियोक्ताओं के लिए भी ईपीएफ की प्रक्रिया आसान कर दी गई है। अब कभी भी ऑनलाइन आवेदन कर अपना ईपीएफ कोड हासिल कर सकते हैं।
ईएसआई व्यवस्था में सुधार
ईएसआई व्यवस्था में भी जरूरी सुधार किए गए हैं। मसलन, ईएसआई कॉरपोरेशन ने औद्योगिक नीति संवद्र्धन विभाग के ई-बिज पोर्टल के जरिये ईएसआइ पंजीकरण की प्रक्रिया का एकीकरण कर दिया है। इससे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पेमेंट गेटवे के जरिये ईएसआई के योगदानों का ऑनलाइन भुगतान संभव हो गया है। यही नहीं, ईएसआइ बीमित कर्मचारियों के लिए राज्यों को चिकित्सा खर्च के पुनर्भुगतान की सीमा को 1500 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये कर दिया गया है। इसमें पांच सालों तक सालाना 150 रुपये की वृद्धि होगी। ईएसआइ एक्ट में भी संशोधन का प्रस्ताव है। जिसके तहत कर्मचारियों को ईएसआइ अथवा इरडा द्वारा मान्यता प्राप्त हेल्थ इंश्योरेंस स्कीमों में से किसी एक को चुनने की छूट होगी।
बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार योग्य बनाने के लिए रोजगार एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय ने एनसीवीटी-एमआइएस पोर्टल जारी किया है। इसके माध्यम से देश भर में फैले 11 हजार आइटीआइ से संबंधित सूचनाएं चुटकी में प्राप्त की जा सकती हैं। इस पोर्टल के मार्फत अब तक 21.60 लाख आइटीआइ छात्रों व अप्रेंटिसशिप प्रोत्साहन योजना के प्रशिक्षुओं को ई-सर्टिफिकेट जारी किए जा चुके हैं। बेरोजगारों के मार्गदर्शन के लिए 'नेशनल करियर सर्विस' नामक पोर्टल शुरू किया गया है। इस साल देश के विभिन्न हिस्सों में 37 'मॉडल करियर सेंटर' खोलने की भी योजना है।
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