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महबूबा सकारात्मक दिखी तो होगी बात, आफ्स्पा पर समझौता नहीं: राम माधव

जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन से पहले भाजपा पर दबाव बढ़ाकर अपना वजन साबित करने में जुटी पीडीपी को तत्काल शायद ही सफलता मिले। बजाय इसके पीडीपी को पहले अपनी ओर से यह संदेश देना होगा कि वह सरकार बनाना चाहती है और फिर समयबद्ध तरीके से न्यूनतम साझा कार्यक्रम के

By Rajesh KumarEdited By: Published: Thu, 18 Feb 2016 06:21 PM (IST)Updated: Thu, 18 Feb 2016 07:55 PM (IST)

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन से पहले भाजपा पर दबाव बढ़ाकर अपना वजन साबित करने में जुटी पीडीपी को तत्काल शायद ही सफलता मिले। बजाय इसके पीडीपी को पहले अपनी ओर से यह संदेश देना होगा कि वह सरकार बनाना चाहती है और फिर समयबद्ध तरीके से न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार मदद करेगी।

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अफस्पा समेत दूसरे मुद्दों पर भी साझा कार्यक्रम के तहत ही कोई निर्णय होगा। अलबत्ता प्रदेश की विकास योजनाओं पर केंद्र सरकार पीडीपी की मांगों पर पूरी तरह से दरियादिली दिखाने को तैयार है।

बुधवार को श्रीनगर में पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती से भाजपा महासचिव राम माधव की मुलाकात के बाद यह अटकलें लगी थीं कि भाजपा ने श्रीनगर और कठुआ से सशस्त्र बल विशेषाधिकार (अफस्पा) हटाने का आश्वासन दिया है। यह भी चर्चा थी कि मुफ्ती की मांग को मानते हुए राम माधव दो पनबिजली संयंत्र राज्य सरकार के हवाले करने पर भी मान गई है।

गुरुवार को राम माधव ने इसे सीधे तौर पर खारिज कर दिया कि अफस्पा पर कोई बात हुई या फिर भाजपा ने मान लिया है कि अफस्पा हटाया जाएगा। माधव ने कहा- 'मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद 40 दिन का शोक काल खत्म हो गया है। लिहाजा हमने मुलाकात की। हमारी सरकार आठ नौ महीने से एक साझा कार्यक्रम के तहत चल रही थी। आगे भी उसी पर बात होगी और समयबद्ध तरीके से सारी बातें पूरी की जाएंगी।'

जल्द ही पीडीपी का एक दल दिल्ली आकर भाजपा नेतृत्व से मिलेगा। बताते हैं कि सरकार गठन पर पूरी बात हो जाएगी तो महबूबा प्रधानमंत्री से मिल सकती हैं। दरअसल, महबूबा अफस्पा हटाना चाहती है, लेकिन यह गौरतलब है कि सेना इसके खिलाफ है। भाजपा शुरू से अफस्पा हटाने के खिलाफ रही है और यह मत रहा है कि सेना को विश्वास में लिए बगैर ऐसा नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि कांग्रेस काल में भी अफस्पा नहीं हटाया गया था।

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संभव है कि महबूबा को समझाया जाएगा कि समय समय पर समीक्षा होगी। राज्य सरकार कोई किसी ख्रास क्षेत्र के बारे में कोई रिपोर्ट भेजती है तो केंद्र उस पर विचार भी कर सकता है। अंतिम निर्णय केंद्र का होगा। इसी मुद्दे पर आगे भी बात होगी। अगर श्रीनगर और कठुआ में ऐसी स्थिति बनेगी कि अफस्पा हटाया जाए और सेना भी तैयार होती दिखे तो कुछ समय के लिए उस पर विचार किया जा सकता है। लेकिन बिना समीक्षा अफस्पा नहीं हटाया जा सकता है।

पनबिजली प्रोजेक्ट को लेकर भी राम माधव ने कोई आश्वासन नहीं दिया है लेकिन एक बार महबूबा सरकार गठन के लिए कदम आगे बढ़ाती है तो केंद्र सरकार उस पर विचार कर सकती है। एक सवाल के जवाब में राम माधव ने आशा जताई कि जल्द ही भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार फिर से बनेगी।


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