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दोस्ती की कीमत वसूलना चाह रहे राजग के साथी

मौका मिलते ही राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के छोटे साथियों ने भाजपा पर हमले शुरू कर दिए हैं। उनकी मुख्य मंशा शायद दबाव बनाकर दोस्ती की कीमत वसूलना है।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 10 Feb 2016 07:56 AM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2016 08:09 AM (IST)

नई दिल्ली। मौका मिलते ही राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के छोटे साथियों ने भाजपा पर हमले शुरू कर दिए हैं। उनकी मुख्य मंशा शायद दबाव बनाकर दोस्ती की कीमत वसूलना है।

शिवसेना को छोड़ दें, तो सबसे मुखर रहे अकाली दल की चाहत फिलहाल इतनी है कि चुनाव से पहले राय में किसान पेंशन शुरू हो जाए। इस पर 15 हजार करोड़ रुपये की लागत आ सकती है। चुनाव में जा रहे पंजाब के लिए जाहिर तौर पर यह बड़ी राहत हो सकती है। जबकि आंध्र प्रदेश की नई राजधानी की कवायद में जुटी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) भी आर्थिक मदद के लिए केंद्र की ओर देख रही है।

केंद्र में सरकार गठन के बाद सोमवार को संभवत: दूसरी बार राजग की बैठक बुलाई गई तो भाजपा के छोटे सहयोगियों के पास अपनी नाराजगी दिखाने को बहुत कुछ था। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में अकाली दल और शिवसेना ने कहा कि भाजपा अपने साथियों के साथ ऐसा बर्ताव न करें जैसे कि उनके पास कोई विकल्प ही नहीं है। उनसे सरकार और राजग की योजनाओं पर भी मशविरा नहीं किया जाता है। गठबंधन साथियों को कई बार मीडिया से जानकारी मिलती है। यह गठबंधन धर्म और कर्तव्य के अनुरूप नहीं है। राजग की नियमित बैठक नहीं हो रही है और इससे जाहिर तौर पर विवाद और आशंकाएं बढ़ेंगी।

शिवसेना ने वाजपेयी सरकार के कार्यकाल का भी हवाला दिया जिसमें शिवसेना शामिल थी। हालांकि शिवसेना की ओर से कोई मांग तो नहीं रखी गई, लेकिन वह दबाव बनाकर अगले साल होने वाले म्यूनिसिपल चुनाव में अपना दबदबा बनाए रखना चाहती है।

अकाली दल के तेवर भी शिवसेना की तरह गरम थे। अगले साल पंजाब में चुनाव हैं। इस खातिर उनकी ओर से मांग रखी गई कि किसानों के लिए पेंशन योजना लागू होनी चाहिए। जाहिर है कि दस साल की सत्ता विरोधी लहर की काट के रूप में अकाली इसका उपयोग करना चाहेंगे। संभवत: आर्थिक मोर्चे पर जूझ रहे प्रदेश के लिए यह बड़ी राहत हो। टीडीपी के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू अपनी नई राजधानी हाईटेक बनाना चाहते हैं। लिहाजा उन्हें भी केंद्र से आर्थिक मदद की दरकार है।

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