मणिपुर में अफस्फा की अवधि एक साल के लिए बढ़ी
इंफाल नगरपालिका क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों को छोड़ दें तो उग्रवाद प्रभावित मणिपुर में विवादास्पद सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम 1
इंफाल। इंफाल नगरपालिका क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों को छोड़ दें तो उग्रवाद प्रभावित मणिपुर में विवादास्पद सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम 1958 [अफस्पा] की अवधि एक साल के लिए बढ़ा दी गई है। यह अधिनियम सात विधानसभा क्षेत्रों वांगखेई, यासकुल, थांगमेईबैंड, यूरीपोक, सागोलबैंड, शिंगजमेई और खुरई को छोड़कर राज्य के सभी जिलों में लागू होगा। यह सभी इंफाल नगरपालिका क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। अधिनियम की अवधि बढ़ाने का फैसला मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में लिया गया। यह अधिनियम राज्य में पिछले दो दशक से प्रभावी है। इसके बाद से इसकी अवधि को सालाना विस्तार दिया जा रहा है। इस अधिनियम की समय सीमा शनिवार शाम को समाप्त हो रही थी। राज्य से इस अधिनियम को हटाए जाने की मांग को लेकर हुए तीव्र विरोध प्रदर्शन के बाद सात विधानसभा क्षेत्रों से इसे एक साल पहले हटा लिया गया था। सामाजिक कार्यकर्ता और 'आइरन लेडी' के नाम से मशहूर इरोम चानू शर्मिला इस अधिनियम को हटाने की मांग को लेकर पिछले 13 साल से आमरण अनशन कर रही है। दो नवंबर, 2000 को इंफाल एयरपोर्ट के पास असम रायफल्स के जवानों ने दस लोगों को मार गिराया था जिसके बाद से शर्मिला आमरण अनशन पर हैं। यह अधिनियम सुरक्षा बलों को उग्रवादियों से निपटने के लिए अतिरिक्त अधिकार देता है।
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क्या है अफस्पा-आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट [एएफएसपीए] 11 सितंबर, 1958 को अस्तित्व में आया
-यह एक्ट उन स्थानों पर सेना को विशेष अधिकार देता है जिनको 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया जाता है। पूर्वोतर राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में सबसे पहले इसे लागू किया गया।
लागू करने की दशाएं-जब किसी स्थानीय समस्या को सुलझाने में पुलिस और राज्य प्रशासन असफल हो जाते हैं, उक्त समस्या का संबंध प्रदेश के बाहर के स्थानों से जुड़ जाता है, तब समस्याग्रस्त इलाके को अशांत क्षेत्र [डिस्टर्ब्ड एरिया] घोषित किया जाता है। उसके बाद अफस्पा लागू किया जाता है।
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