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पकड़ा गया एक अरब का लोन लेकर फरार कारोबारी, साथियों ने कहा चार्टड प्लेन ले जाओ

जब कैलाश गर्ग दिल्ली में पकड़ा गया तो उसके लिए दस से ज्यादा वकील पहुंच गए।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Tue, 28 Feb 2017 02:13 AM (IST)Updated: Tue, 28 Feb 2017 07:56 AM (IST)
पकड़ा गया एक अरब का लोन लेकर फरार कारोबारी, साथियों ने कहा चार्टड प्लेन ले जाओ
पकड़ा गया एक अरब का लोन लेकर फरार कारोबारी, साथियों ने कहा चार्टड प्लेन ले जाओ

नई दुनिया, इंदौर। बिके हुए प्लॉट के फर्जी दस्तावेज बना 110 करोड़ का लोन लेकर फरार हुए गर्ग बंधुओं को इंदौर पुलिस ने रविवार को पकड़ा। जब कैलाश गर्ग दिल्ली में पकड़ा गया तो उसके लिए दस से ज्यादा वकील पहुंच गए। वे आरोपी को चार्टड प्लेन से इंदौर ले जाने का दबाव बना रहे थे। एयरपोर्ट पर प्लेन खड़ा भी करवा दिया। आरोपी के लिए पूर्व केन्द्रीय कानून मंत्री ने भी पहुंच लगाई, लेकिन पुलिस आरोपी को कार से ही इंदौर लाई। हालांकि सोमवार देर शाम सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत मिली और एक-एक करोड़ के बांड भरकर शर्तो पर छोड़ दिया गया।

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इंदौर क्राइम ब्रांच ने रविवार को फरार इनामी कारोबारी कैलाश गर्ग और उसके भाई सुरेश गर्ग को गिरफ्तार किया। क्राइम ब्रांच एएसपी के अनुसार कैलाश दिल्ली के पटेल नगर में छिपा था। उसके बचाव में दिल्ली के वकील पहुंचे औरे इंदौर पुलिस के आला अफसरों को फोन लगाए। कहा कि आरोपी को चार्टड प्लेन से इंदौर ले जाएं। उनका कहना था कि पुलिस भी आराम से दो घंटे में इंदौर पहुंच जाएगी। अफसरों ने मना किया तो तर्क दिया कि वह हवा में कूदकर नहीं भागेगा। उन्होंने आरोपी को ले जाने के लिए महंगी कार भी खड़ी कर दी थी। हाईप्रोफाइल मामले में किरकिरी होने के डर से पुलिस उसे चार पहिया वाहन में बैठाकर सड़क मार्ग से राजस्थान होते हुए सोमवार दोपहर तेजाजी नगर थाने लाई।

यह था मामला

तेजाजी नगर पुलिस ने 2014 में फीनिक्स टाउनशिप मामले में चंपू अजमेरा और गर्ग बंधुओं पर केस दर्ज किया था। तब से ये सभी फरार थे। 2015 में भी पुलिस ने गर्ग बंधुओं पर फर्जी दस्तावेज पेश कर 110 करोड़ का लोन लेने के मामले में दो-दो केस दर्ज किए थे। गर्ग बंधु एवलांज रियलिटी प्रा.लि के डायरेक्टर हैं। दिल्ली निवासी स्वाति जैन, मंजू शर्मा, सुनीता जैन व सरिता जैन ने 31 जुलाई 2009 को एवलांज रियलिटी प्रालि से नायता मुंडला में (सैटेलाइट हिल्स) 80 हजार वर्गफीट की जमीन खरीदी थी। इन बेचे प्लॉटों के फिर से फर्जी दस्तावेज तैयार कर तीन बैंकों से 110 करोड़ का लोन ले लिया। जब किस्त नहीं भरी गई तो पड़ताल हुई। नोटिस जमीन के असली मालिक तक पहुंचा। उक्त मालिक ने पुलिस से संपर्क किया और फिर केस दर्ज हुआ।

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