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माल्या की किंगफिशर सबसे बड़ी डिफॉल्टर

उद्योगपति विजय माल्या की कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस देश की सबसे बड़ी डिफॉल्टर है। बैंकों से कर्ज लेकर नहीं लौटाने वाली किंगफिशर एक साल से भी ज्यादा समय से बंद पड़ी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस एयरलाइन पर बैंकों का 4,022 करोड़ रुपये कर्ज है। इन बैंकों में से ज्यादातर सरकारी हैं। वे अपनी रकम निकालने के जुगत में हैं, लेकि

By Edited By: Published: Thu, 17 Jul 2014 08:29 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jul 2014 08:29 PM (IST)
माल्या की किंगफिशर सबसे बड़ी डिफॉल्टर

मुंबई। उद्योगपति विजय माल्या की कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस देश की सबसे बड़ी डिफॉल्टर है। बैंकों से कर्ज लेकर नहीं लौटाने वाली किंगफिशर एक साल से भी ज्यादा समय से बंद पड़ी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस एयरलाइन पर बैंकों का 4,022 करोड़ रुपये कर्ज है। इन बैंकों में से ज्यादातर सरकारी हैं। वे अपनी रकम निकालने के जुगत में हैं, लेकिन माल्या के हाथ खड़े कर देने से किंगफिशर डूबती दिख रही है। ऐसे में पैसे वापस पाना लगभग नामुमकिन दिख रहा है।

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देश के 50 बड़े कर्जदारों के पास दिसंबर, 2013 तक बैंकों का 53,000 करोड़ रुपये फंसा हुआ था। बैंकों ने यह आंकड़ा वित्त मंत्रालय के पास भेजा है। इनमें से 19 कंपनियां ऐसी हैं, जिनके पास 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है।

विनसम दूसरे पायदान पर

माल्या की कंपनी के बाद कर्ज लेकर बैठ जाने वाली कंपनियों में दूसरे पायदान पर है, विनसम डायमंड, जो पहले सुराज डायमंड के नाम से जानी जाती थी। इस कंपनी के पास बैंकों का 3,243 करोड़ रुपये बकाया है। कंपनी यह रकम नहीं चुका रही है।

इलेक्ट्रोथर्म इंडिया भी आगेकर्ज के मामले में तीसरे नंबर पर इलेक्ट्रोथर्म इंडिया है। इसके पास बैंकों का 2,653 करोड़ रुपये बकाया है। चौथे नंबर पर कॉरपोरेट पावर है, जिसके पास बैंकों के 2,487 करोड़ रुपये बाकी हैं। पांचवें नंबर पर स्टर्लिग बायोटेक है। यह दवा कंपनी 2,031 करोड़ रुपये की कर्जदार है। इसके अलावा फॉरएवर प्रेस पर 1,754 करोड़ रुपये, केएस ऑयल पर 1,705 करोड़ रुपये और जूम डेवलपर्स पर 1,419 करोड़ रुपये का बकाया है।

कानूनी खामी बड़ी अड़चनदरअसल, हमारे कानून में कई खामियां हैं। इनका फायदा उठाकर प्रमोटर बच निकलते हैं और बैंकों का पैसा फंस जाता है। यही वजह है कि ऐसी रकम बढ़कर छह लाख करोड़ रुपये तक जा पहुंची है। ऐसे में बैंकों और वित्त मंत्रालय पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि फंसे पैसे कैसे निकलवाए जाएं।

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