Move to Jagran APP

आइओसी, ओएनजीसी, ऑयल इंडिया पर प्रतिबंध की तलवार

सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आइओसी) और ऑयल इंडिया (ओआइएल) पर अमेरिकी प्रतिबंध लग सकता है। अमेरिकी प्रशासन ने इन तीनों को दुनिया की उन पांच कंपनियों की सूची में रखा है, जिनके ईरान के साथ ऊर्जा संबंध रहे हैं।

By Murari sharanEdited By: Published: Sun, 08 Mar 2015 07:49 PM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2015 07:51 PM (IST)
आइओसी, ओएनजीसी, ऑयल इंडिया पर प्रतिबंध की तलवार

नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आइओसी) और ऑयल इंडिया (ओआइएल) पर अमेरिकी प्रतिबंध लग सकता है। अमेरिकी प्रशासन ने इन तीनों को दुनिया की उन पांच कंपनियों की सूची में रखा है, जिनके ईरान के साथ ऊर्जा संबंध रहे हैं।

loksabha election banner

अमेरिकी सरकार के जवाबदेही कार्यालय ने ईरान के साथ ऊर्जा संबंध रखने वाली पांच कंपनियों की सूची बनाई है। इनमें चीन की सीएनपीसी और सिनोपेक के साथ उक्त तीनों भारतीय कंपनियां शुमार हैं। ये आठ नवंबर, 2013 और एक दिसंबर, 2014 के बीच ईरान के ऊर्जा क्षेत्र में वाणिज्यिक गतिविधियों में लिप्त रहीं। अमेरिकी ईरान प्रतिबंध अधिनियम में इस बाबत कड़े प्रावधान हैं।

ये कहते हैं कि यदि कोई विदेशी फर्म या व्यक्ति 12 माह से अधिक समय के लिए ईरान के ऊर्जा सेक्टर में दो करोड़ डॉलर से ज्यादा निवेश करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो। ईरान में फारसी अपटतीय ब्लॉक में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी है।

जवाबदेही कार्यालय की बीते साल की रिपोर्ट में भी ओएनजीसी और ऑयल इंडिया का नाम था। आइओसी इसमें शामिल नहीं थी। पर्याप्त सूचना उपलब्ध न होने के कारण इसे सूची से बाहर रखा गया था। लेकिन इस साल की रिपोर्ट में आइओसी का भी नाम है।

रिपोर्ट कहती है कि ब्लॉक परियोजना में इसकी 40 फीसद हिस्सेदारी है। ओएनजीसी की भी इस ब्लॉक में इतनी ही हिस्सेदारी है। जबकि इंडिया ऑयल की इसमें 20 फीसद हिस्सेदारी है। तीनों फर्मो ने जवाबदेही कार्यालय को एक जैसा जवाब दिया है। उनका कहना है कि फारसी ब्लॉक के लिए खोज अनुबंध 2009 में समाप्त हो चुका है। उन्होंने 2007 से ब्लॉक में कोई गतिविधि नहीं की है।

ओएनजीसी की विदेशी निवेश इकाई ओएनजीसी विदेश (ओवीएल) का नाम ईरान के साथ काम करने वाली कंपनियों की सूची से 2014 में हटा लिया गया था। इसके अलावा पेट्रोनेट एलएनजी और हिंदुजा ग्रुप की फर्म अशोक लेलैंड प्रोजेक्ट सर्विसेज का भी नाम वापस लिया गया था। अमेरिका और उसके सहयोगी देश ईरान के विवादित परमाणु कार्यक्रम को लेकर उसे अलग-थलग करना चाहते हैं। प्रतिबंध का रास्ता उसी कड़ी में अपनाया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.