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बिहार से डरा बाजार, अब नजर सरकार पर

विदेशी निवेशक अब भी इस उम्मीद में हैं कि कोई जादू होगा और सुधारों की प्रक्रिया चल पड़ेगी।

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Sat, 14 Nov 2015 10:31 PM (IST)Updated: Sat, 14 Nov 2015 10:33 PM (IST)

जिमीत मोदी

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सीईओ, सेमको सिक्योरिटीज

पिछले हफ्ते बिहार में एनडीए की हार के कारण शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव रहा। संसद में गतिरोध बढ़ने और आर्थिक सुधारों की धीमी प्रक्रिया ने बाजार को डरा दिया। इसी की वजह से लगातार बिकवाली हुई। विदेशी निवेशक चुनाव के नतीजों तक इंतजार कर रहे थे। अब भी वे इसी उम्मीद में हैं कि कोई जादू होगा और आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया चल पड़ेगी। कंपनियों के तिमाही नतीजे आ गए हैं और बाजार ने इन पर प्रतिक्रिया भी दे दी है। दूसरी तिमाही में बीपीसीएल का मुनाफा 119 फीसदी बढ़ा, लेकिन एचपीसीएल को 320 करोड़ का घाटा हुआ। टाटा मोटर्स ने भी घाटा दिखाया। कंपनी के मुताबिक चीन के पोर्ट पर कारें नष्ट होने के कारण काफी नुकसान उटाना पड़ा, हालांकि कंपनी के नतीजे उम्मीद के मुताबिक ही रहे। बैंक ऑफ इंडिया ने ज्यादा प्रोविजनिंग के चलते दूसरी तिमाही में 1 हजार करोड़ का घाटा दिखाया। सनफार्मा का मुनाफा आधा रह गया। रैनबैक्सी पर अमेरिकी एफडीए की तरफ से चेतावनी की वजह से बिक्री प्रभावित हुई। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरें बढ़ाने के संकेत का खौफ कई शेयरों और सेक्टरों पर नजर आया। आगे भी बाजार का सेंटीमेंट कमजोर रहेगा।

हफ्ते की घटनाएं

जीई को भारतीय रेलवे ने 1,000 डीजल लोकोमोटिव के लिए 2.6 अरब डॉलर का सबसे बड़ा ऑर्डर मिला। मेक इन इंडिया के तहत इसमें से 20 करोड़ डॉलर का निवेश भारत में होगा। 19 अक्टूबर को बॉम्बे हाईकोर्ट की तरफ से प्रतिबंध हटाए जाने के बाद नेस्ले ने कुछ सुपर मार्केट और ऑनलाइन मैगी को रीलॉन्च किया। डॉ. रे़ड्डीज को अमेरिकी एफडीए की तरफ से 3 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट पर चेतावनी मिलने के कारण शेयर में भारी गिरावट आई। उधर इंडिगो का शेयर 15 फीसदी प्रीमियम पर लिस्ट हुआ।

हफ्ते से उम्मीद

घरेलू कंपनियों के नतीजों का सीजन खत्म होने के बाद बाजार अब विदेशी संकेतों पर निर्भर रहेगा। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने और उसके असर से बाजार में गिरावट आएगी। सरकार को भी संसद में बिल पारित करने में दिक्कत आएगी। सरकार एक्जिक्यूटिव पावर का इस्तेमाल करके कुछ फैसले कर सकती है। कारोबार आसान करने संबंधी कदम पहले ही उठा लिए गए हैं। इनमें खराब कर्ज, रक्षा खरीद संबंधी नियम और सड़क एवं बुनियादी ढांचे पर जोर जैसे फैसलें शामिल हैं। ज्यादा वैल्यूएशन वाले सेक्टर में बिकवाली का दबाव जारी है। विदेशी निवेशक भी बाजार में दोबारा उतरने के लिए आतुर नहीं है। निवेशकों को इस समय अच्छे फंडामेंटल वाले शेयरों में निवेश करना चाहिए। सरकार सुधारों के मोर्चे पर कैसे आगे बढ़ेगी और फैसले कैसे लागू करवाएगी, इन्हीं सब चीजों पर आगे की चाल निर्भर होगी।

निफ्टी छुएगा 7,550 का स्तर

निफ्टी में लगातार कमजोरी जारी है। यह इंडेक्स 7,550 का निचला स्तर टेस्ट करने की राह पर है। निफ्टी की चाल देखकर लगता है कि इसमें कमजोरी जारी रहेगी। निफ्टी छोटी अवधि में इसी तरह चलेगा। यह जल्द 7,550 का स्तर भी छू सकता है। बाजार में गिरावट का दौर फिलहाल जारी रह सकता है।

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