ग्लोबल जीडीपी में भारत का हिस्सा दोगुना हुआ
पांच देशों के संगठन ब्रिक्स की संयुक्त जीडीपी 16000 अरब डॉलर की है। इन देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
नई दिल्ली, एजेंसियां : ग्लोबल जीडीपी में भारत का हिस्सा दोगुना हो गया है। 2000 में यह हिस्सेदारी 1.43 फीसद थी, जो 2015 में बढ़कर 2.86 फीसद हो गई। शनिवार को उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर ने यह बात कही।
पीएचडी चैंबर के प्रेसीडेंट महेश गुप्ता ने बताया कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2000 में 477 अरब डॉलर पर था। 15 साल में इसमें चार गुने से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई। इस वृद्धि के साथ 2015 में भारत की जीडीपी 2,091 अरब डॉलर हो गई।
पांच देशों के संगठन ब्रिक्स की संयुक्त जीडीपी 16000 अरब डॉलर की है। इन देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। विश्व जीडीपी में ब्रिक्स की हिस्सेदारी में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। 2000 में यह 8.27 फीसद थी, जो 2015 में बढ़कर 22.53 फीसद हो गई।
रोचक यह है कि ब्रिक्स देशों की जीडीपी का आकार 2000 से उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। खासतौर से 2008 में आर्थिक संकट के बाद इसमें खासी बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान भारत की आर्थिक रफ्तार विशेष रूप से जोरदार रही। चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर के आठ फीसद रहने के अनुमान हैं। निजी उपभोग से ग्रोथ को सहारा मिलेगा, जिसे ईंधन की कम कीमतों और ऊंची वास्तविक आमदनी से लाभ मिला है। दुनिया की आबादी का 42 फीसद हिस्सा ब्रिक्स देशों का है।
पिछले वित्त वर्ष 2015-16 में भारत की अनुमानित विकास दर 7.6 फीसद रही। बीते रोज नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा था कि अगले कम से कम तीन दशकों तक भारत की विकास दर 9-10 फीसद रहने की जरूरत है। देश की आर्थिक विकास दर अगर 10 फीसद रहे तो अगले 16 साल में गरीबी खत्म हो जाएगी।
इतना ही नहीं जीडीपी की डबल डिजिट ग्रोथ से 17.5 करोड़ नई नौकरियां भी पैदा होंगी। इससे बेरोजगारी की समस्या हल हो सकती है। हाल ही में ग्लोबल आर्थिक हालात को गंभीर और चिंताजनक करार देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत ढांचागत क्षेत्र में बदलाव और प्रमुख सुधारों को लागू करने में जुटा है।
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