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    क्या दो साल तक कोई नहीं खोलेगा इन फ्लैटों का ताला?

    By Edited By:
    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    नई दिल्ली। कर्ज की ब्याज दर बढ़ रही है, होम लोन लेना मुश्किल होता जा रहा है। घरों की कीमतें आसमान पर

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    नई दिल्ली। कर्ज की ब्याज दर बढ़ रही है, होम लोन लेना मुश्किल होता जा रहा है। घरों की कीमतें आसमान पर पहुंच रही हैं। खरीदार बाजार से दूर भाग रहे हैं। ऐसे में देश के टॉप रियल एस्टेट डेवलपर्स नये मकान बनाने की सोच भी नहीं रहे क्योंकि जो बने हुए हैं वहीं बिक नहीं रहे। बाजार विशेषज्ञों का तो यह भी कहना है कि खाली मकानों, फ्लैटों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि इन्हें बेचने में दो साल लग जाएंगे।

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    माना जा रहा है कि खाली पड़े मकानों की संख्या ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई है। बीएसई 500 इंडेक्स की 19 लिस्टिड कंपनियों पर बिजनेस स्टैंडर्ड के एक विश्लेषण के मुताबिक, मार्च 2013 के अंत तक रियल एस्टेट की बिक्री सपाट रहने के बावजूद टॉप डेवलपर्स के पास 58,000 करोड़ रुपये का ऐसा स्टॉक पड़ा है जो बिका नहीं है और इसे बिकने में कम से कम दो साल का वक्त लगेगा।

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    रिपोर्ट के मुताबिक, देश की सबसे बड़ी सूचीबद्ध रियल स्टेट कंपनी डीएलएफ के पास 17,600 करोड़ रुपये की खाली जगह पड़ी है, जो बिकी नहीं है। इसके अलावा, मार्च 2013 के अंत तक एचडीआईएल के पास 12,043 करोड़ रुपये की लागत वाले फ्लैट खाली पड़े हैं। यह आंकड़ा कंपनी द्वारा साल 2012-13 के दौरान की गई बिक्री से छह गुना ज्यादा है। इतना ही नहीं इंडिया बुल्स रियल एस्टेट के पास 5,111 करोड़ रुपये के खाली फ्लैट हैं, जोकि कंपनी की शुद्ध बिक्री से चार गुना ज्यादा है।

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    एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई में खाली पड़े फ्लैटों को बेचने के लिए 48 माह का वक्त लगेगा। दिल्ली में खाली फ्लैटों के लिए खरीदार ढूंढने में 23 माह तक का वक्त लगेगा और बेंगलुरु में यह आंकड़ा 25 माह तक का रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्केट में खरीदार नहीं हैं। एक आंकड़े से पता चलता है कि करीब 4 लाख हाउसिंग यूनिट में से 1.43 लाख यूनिट ही जुलाई 2013 तक तैयार हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति, ऊंची लागत और ब्याज दरों में इजाफे ने कंपनियों का सिर दर्द बढ़ा दिया है।

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