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10 हजार रुपये से 1 अरब डॉलर तक का हैरान करने वाला सफर

इंटरनेट की बढ़ती पहुंच और युवाओं के बीच ऑनलाइन शॉपिंग की बढ़ती लोकप्रियता के बीच ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट के जरिए सालाना बिक्री का आंकड़ा 1 अरब डॉलर (करीब 6,100 करोड़ रुपये) पार कर गया है। कंपनी ने एक साल पहले ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया। लेकिन क्या आप जानते हैं इस बिक्री के पीछे कितनी बड़ी राशि को निवेश किया गया था।

By Edited By: Published: Wed, 12 Mar 2014 09:53 AM (IST)Updated: Wed, 12 Mar 2014 01:59 PM (IST)
10 हजार रुपये से 1 अरब डॉलर तक का हैरान करने वाला सफर

मुंबई। इंटरनेट की बढ़ती पहुंच और युवाओं के बीच ऑनलाइन शॉपिंग की बढ़ती लोकप्रियता के बीच ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट के जरिए सालाना बिक्री का आंकड़ा 1 अरब डॉलर (करीब 6,100 करोड़ रुपये) पार कर गया है। कंपनी ने एक साल पहले ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया। लेकिन क्या आप जानते हैं इस बिक्री के पीछे कितनी बड़ी राशि को निवेश किया गया था।

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सचिन बसंल और बिन्नी दोनों ने लगातार 18 माह तक पहले परिजनों से प्रति माह 10,000 रुपये लेकर ई-कॉमर्स वेबसाइट शुरू की थी जहां वह किताबों की बिक्री करते थे। फ्लिपकार्ट ने वर्ष 2015 तक 1 अरब डॉलर का आंकड़ा छूने का लक्ष्य रखा था। फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापकों, सचिन बंसल और बिन्नी बंसल की तरफ से जारी बयान में कहा गया, 'मार्च, 2011 में हमने घोषणा की थी कि हम 2015 तक एक अरब डॉलर का आंकड़ा छूना चाहते हैं। उस समय हमारा रन रेट एक करोड़ डॉलर का था। आज हमें यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि हमने 1 अरब डॉलर का रन रेट लक्ष्य से एक साल पहले हासिल कर लिया है।'

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ऑनलाइन बुक स्टोर से शुरुआतफ्लिपकार्ट ने ऑनलाइन बुक स्टोर के रूप में शुरुआत की थी। अब यह फैशन और इलेक्ट्रॉनिक्स समेत कई क्षेत्रों के उत्पाद बेचती है। कंपनी ने फ्रिज, वॉशिंग मशीन और फर्निचर जैसी चीजें भी बेचनी शुरू कर दी है।

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मार्केटप्लस मॉडलकंपनी मार्केटप्लेस मॉडल के रूप में भी परिचालन करती है, जिसके तहत यह रिटेलरों को उत्पाद अपने प्लेटफॉर्म के जरिए बेचने की सुविधा देती है। कंपनी ने पिछले साल निजी इक्विटी कोष से 36 करोड़ डॉलर जुटाए थे। यह ई-कॉमर्स क्षेत्र में अपनी तरह का सबसे बड़ा सौदा है।

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ऑनलाइन ग्राहक 2 करोड़एक अनुमान के मुताबिक देश में फिलहाल इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की तादाद 20 करोड़ है। इनमें से 2 करोड़ ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं।

बादशाहत को चुनौतीदुनिया की सबसे बड़ी ई--कॉमर्स कंपनी अमेजन अमेरिका में ग्राहकों को सीधे माल बेचती है। उसके जरिए दूसरे रिटेलर भी अपने उत्पाद बेच सकते हैं। भारतीय कानून अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन रिटेलरों को मल्टीपल ब्रांड बेचने की इजाजत नहीं देता। अमेजन के पास अपने इस 10वें उपक्रम के लिए बाजार है। अमेजन के लिए भारतीय दांव कई वजहों से बेहद महत्वपूर्ण है।

यहां तीसरे नंबर पर दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोग हैं और बड़े पैमाने पर ऑनलाइन रिटेल की संभावना है। पांच खरब डॉलर के रिटेल कारोबार में ऑनलाइन रिटेल का कारोबार करीब 1.25 अरब डॉलर का है। रिटेल कंसल्टेंसी टेक्नोपैक को उम्मीद है कि अगले 10 साल में यह 61 गुना ब़़ढ जाएगा। यह अमेजन प्रमुख बेजोज के लिए सपना सच होने जैसा है।

दूरगामी नजरिया

1990 के दशक की शुरुआत में जब इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने लगा तब वॉल स्ट्रीट में बैंकर बेजोस ने एक रिपोर्ट पढ़ी, जिसके मुताबिक, कुछ वर्षो में ई-कॉमर्स 2,300 प्रतिशत बढ़ने वाला था। उन्होंने खुद से कहा, 'मैं इसमें अपना हिस्सा चाहता हूं। वे नौकरी छोड़कर न्यूयॉर्क से सिएटल पहुंच गए और 1994 में अपने गैराज से अमेजन की शुरआत की। तब इसका नाम कैडेबरा नाम था।

भारत का माहौल अलगलेकिन, भारतीय माहौल थोड़ा अलग है। देश के ऑनलाइन रिटेल उद्योग में पहले से ही एक कंपनी तेजी से आगे बढ़ रही है। फ्लिपकार्ट सबसे बड़ी घरेलू ई-कॉमर्स कंपनी है, जिसने अमेजन का ही मॉडल अपना लिया है। इसे अमूमन भारत का अमेजन कहा जाता है। (नईदुनिया)


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