फंसे कर्जे पर लगाम की एक और कोशिश
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अधिकांश सरकारी बैंकों के लिए गले की फांस बन चुके फंसे कर्जे (एनपीए) पर काबू पाने की एक और कोशिश शुरू की जा रही है। रिजर्व ब ...और पढ़ें

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अधिकांश सरकारी बैंकों के लिए गले की फांस बन चुके फंसे कर्जे (एनपीए) पर काबू पाने की एक और कोशिश शुरू की जा रही है। रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने फंसे कर्जे की वसूली व मुनाफे से इसकी भरपाई करने के मौजूदा नियमों को और कठोर बनाने का फैसला किया है। जानबूझ कर कर्ज नहीं लौटाने वाले ग्राहकों के लिए बैंकों का रास्ता बंद किया जा रहा है। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि इन कंपनियों पर बकाया कर्ज के भुगतान को लेकर बैंक ज्यादा मुरव्वत नहीं दिखाने पाएं।
बैंकों को कहा गया है कि वे समय पर ही कर्ज की अदायगी में होने वाली दिक्कतों को भांपते हुए उन्हें तीन अलग-अलग श्रेणियों मे बांटने की प्रक्रिया अपनाएं। समय पर भुगतान करने वाले ग्राहकों पर भी लगातार ध्यान रखने को कहा गया है। इससे उनमें कोई दिक्कत पैदा होने पर समय से उनकी पहचान की जा सकेगी। भुगतान तिथि बीत जाने के 31 से लेकर 60 दिनों के भीतर मूल व ब्याज अदा नहीं होने पर उसे चिंता पैदा करने वाली श्रेणी में रखा जाएगा। लेकिन दो महीने से लेकर तीन महीने के बीच भी भुगतान नहीं होता है तो ऐसा कर्ज गंभीर चिंता वाली श्रेणी में रखना होगा। एक से दूसरी श्रेणी में जाने वाले खाते की जानकारी तुरंत कर्ज वसूली पर गठित विशेष समिति को देने को कहा गया है।
नए दिशानिर्देश में फंसे कर्जे की वसूली के लिए बैंक अब ज्यादा आसानी से प्रमोटरों की इक्विटी को कब्जे में ले सकेंगे। साथ ही पूरी व्यवस्था इस तरह से की जा रही है कि एनपीए से हानि का खामियाजा बैंकों को कम से कम उठाना पड़े। आरबीआइ के इस नए निर्देश में बैंकों के अकाउंट्स की ऑडिट करने वाली चार्टर्ड अकाउंटेंसी फर्म और ग्राहक फर्म के वकीलों पर भी नकेल कसने की व्यवस्था है। ऐसा इसलिए किया गया है कि बैंक खाता बही में बदलाव कर एनपीए को छिपाने की कोशिश नहीं करें।

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