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रेलवे में 100 फीसद एफडीआई खोल रहे हैं - पीएम मोदी

पीएम मोदी की विदेश यात्रा का आज आखिरी दिन है। अपने अंतिम पड़ाव पर दक्षिण कोरिया पहुंचे प्रधानमंत्री सियोल में सीईओ फोरम पहुंचे हैं।

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Tue, 19 May 2015 08:44 AM (IST)Updated: Tue, 19 May 2015 09:40 AM (IST)

सिओल। तीन देशों की यात्रा के आखिरी चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दक्षिण कोरिया में निवेशकों को लुभाने के अभियान में कामयाबी पाई। दक्षिण कोरिया के रणनीति व वित्त तथा एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ कोरिया ने भारत में स्मार्ट सिटी, रेलवे, बिजली व अन्य क्षेत्रों में 630 अरब रुपये के निवेश की घोषणा की। इसमें आर्थिक विकास सहयोग फंड से एक अरब डॉलर तथा बुनियादी ढांचे के विकास की परियोजनाओं के लिए 9 अरब डॉलर का निवेश होगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने रेलवे में शत प्रतिशत एफडीआई लागू करने की बात कही।

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हालांकि पिछले साल अगस्त में ही रेलवे को कुछ क्षेत्रों में सौ फीसद एफडीआई की अनुमति दे दी गई थी जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं : सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी) के तहत उपनगरीय गलियारा परियोजना, तेज रफ्तार वाली रेलगाड़ी परियोजनाएं, समर्पित माल ढुलाई लाइन, लोकोमोटिव निर्माण और रखरखाव सुविधा। रेलवे के इन क्षेत्रों में एफडीआई आने और उदारीकरण आगे बढ़ने से रेलवे परियोजनाओं के आधुनिकीकरण और विस्तार में मदद मिलेगी। एक अनुमान के अनुसार इस क्षेत्र में 29,000 करोड़ रुपये की नकदी की तंगी है और एफडीआई मंजूरी से रेलवे को यह संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी। त्वरित परिवहन प्रणाली को छोड़कर रेलवे में इस समय किसी भी तरह के एफडीआई पर रोक है। रेलवे में एफडीआई के फैसले से उसके ढांचागत और औद्योगिक लिहाज से विकास में मदद मिलेगी।

रेलवे में एफडीआई मंजूरी से प्रस्तावित मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल गलियारे की परियोजना में तेजी आएगी। माल परिवहन के लिए विशेष रेल गलियारे को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, रेलवे संचालन और सुरक्षा के क्षेत्र में एफडीआई की मंजूरी नहीं दी गई है।

वहीं, रेलवे कर्मचारी एफडीआई लागू करने का पूरजोर विरोध कर रहे हैं। भारतीय रेल में 14 लाख कर्मचारी काम करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि रेलवे में फैसले लेने और लागू करने में लालफीताशाही एक बड़ा अवरोध है, इसलिए निवेशकों के लिए यह आकर्षक क्षेत्र नहीं है। इसलिए शत प्रतिशत एफडीआई लागू करने के बाद भी निवेशकों को आकर्षित करना टेड़ी खीर होगी। हालांकि मोदी सरकार की बुलेट ट्रेन जैसी नई योजनाओं को जरूर निवेशक हाथो-हाथ लेंगे। इसके अलावा मेट्रो रेल, लोकोमोटिव, रॉलिंग स्टॉक, अर्द्धशहरी क्षेत्रों में रेल परियोजनाओं आदि में एफडीआई निवेशक रूचि ले सकते हैं।

नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले रेल बजट के मुताबिक भारतीय रेल 100 रुपये कमाने के लिए 94 रुपये खर्च करती है इसलिए रेलवे के पास निवेश के लिए आय का महज 6 फीसद हिस्सा ही उपलब्ध होता है। इसलिए रेलवे की हालत सुधारने में एफडीआई की बड़ी भूमिका हो सकती है।

वही, एफडीआई के अलावा सरकार ने भी रेलवे की हालत सुधारने के लिए कई क्षेत्रों में निवेश करने वाली है।

कहां कितना होगा खर्च
- रेल मंत्रालय ने रेलवे के कायाकल्प के लिए पांच सालों (2015-19) में 8,56,020 करोड़ रुपये के निवेश करने की योजना बनाई है
-रेल नेटवर्क के विकास के लिए 1,99,320 करोड़ रुपये निवेश किए जाएंगे। विस्तार पर होगा 1,93,000 करोड़ रुपये का निवेश
- राष्ट्रीय परियोजनाओं पर 39,000 करोड़ खर्च होंगे, रेल मार्ग के नवीकरण, पुल संबंधी कार्य आदि पर 1,27,000 करोड़ रुपये
- सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 5,000 करोड़ रुपये निवेश की योजना, रेल इंजन-कोच-डिब्बे (रोलिंग स्टाक) के उत्पादन पर 1,02,000 करोड़ रुपये
- यात्री सुविधाएं बेहतर बनाने पर 12,500 करोड़ रुपये, हाई स्पीड रेल व एलिवेटेड गलियारों के लिए 65,000 करोड़ रुपये
- स्टेशनों का आधुनिक बनाने व लॉजिस्टकस पार्क पर 1,00,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जबकि अन्य क्षेत्रों में 13,200 करोड़ रुपये का निवेश

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