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नया कंपनी विधेयक संसद से पास

नई दिल्ली [जाब्यू]। आर्थिक सुधारों की राह में सरकार ने एक कदम और बढ़ा लिया है। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार देश को नया कंपनी कानून मिल गया। संसद ने गुरुवार को कंपनी विधेयक पारित कर दिया। नया कानून 50 साल पुराने कानून की जगह लेगा। नए कानून में कर्मचारियों और निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने के प्रावधान हैं। नए कंपनी वि

By Edited By: Published: Thu, 08 Aug 2013 09:32 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
नया कंपनी विधेयक संसद से पास

नई दिल्ली [जाब्यू]। आर्थिक सुधारों की राह में सरकार ने एक कदम और बढ़ा लिया है। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार देश को नया कंपनी कानून मिल गया। संसद ने गुरुवार को कंपनी विधेयक पारित कर दिया। नया कानून 50 साल पुराने कानून की जगह लेगा। नए कानून में कर्मचारियों और निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने के प्रावधान हैं।

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नए कंपनी विधेयक को गुरुवार को राज्यसभा ने मंजूरी दे दी। लोकसभा पिछले साल दिसंबर में ही इस विधेयक को पारित कर चुकी है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाने के बाद नया कानून अमल में आ जाएगा। विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए कॉरपोरेट मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया। इस विधेयक के पारित होने पर उद्योग जगत ने खुशी जताई है। साथ ही उम्मीद जताई है कि नए कानून से प्रमोटर और प्रबंधन के बीच बेहतर तालमेल और समन्वय बनेगा।

पायलट ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि नया कंपनी कानून उद्योगों के विकास का रास्ता खोलेगा। इसमें कंपनियों के कामकाज में पारदर्शिता बनाए रखने पर जोर दिया गया है। इससे कंपनियों में सेल्फ रिपोर्टिग और डिस्क्लोजर को बढ़ावा मिलेगा। नया कानून अमल में आने के बाद कंपनियों को पिछले तीन साल के औसत मुनाफे का कम से कम दो फीसद कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व [सीएसआर] गतिविधियों पर खर्च करना होगा।

पायलट ने बताया कि इस कानून में संसद की स्थायी समिति की करीब 96 फीसद सिफारिशों को शामिल किया गया है। इससे कंपनियों के लिए अपने बोर्ड में एक तिहाई स्वतंत्र निदेशकों को शामिल करने की बाध्यता भी होगी। साथ ही प्रत्येक कंपनी को बोर्ड में कम से कम एक महिला निदेशक की नियुक्ति करनी होगी। कंपनियों पर सामाजिक कल्याण के कार्यो को बाध्यता के बजाय स्वैच्छिक बनाया गया है।

कॉरपोरेट गवर्नेस से जुड़े मामलों में और ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए इसमें ठोस उपाय किए गए हैं। साथ ही कंपनियों से जुड़े मामलों की जल्द सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन का प्रावधान भी किया गया है। नए कानून के मुताबिक अब एक ऑडिटर बीस से अधिक कंपनियों के खातों की जांच नहीं कर पाएगा। ऑडिटरों की आपराधिक जवाबदेही भी तय की गई है।


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