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    फिर थमी औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Fri, 10 Jun 2016 09:04 PM (IST)

    मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र मंदी के झटकों से उबर नहीं पा रहा है। यही वजह है कि अप्रैल महीने में कैपिटल गुड्स और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के खराब प्रदर्शन क ...और पढ़ें

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र मंदी के झटकों से उबर नहीं पा रहा है। यही वजह है कि अप्रैल महीने में कैपिटल गुड्स और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के चलते औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) में 0.8 प्रतिशत की गिरावट आयी है जबकि पिछले साल अप्रैल महीने में इसमें तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। औद्योगिक क्षेत्र के इस निराशाजनक प्रदर्शन के मद्देनजर सरकार पर जहां विकास दर को बढ़ावा देने के लिए उपाय करने का दवाब होगा वहीं ब्याज दरों में कटौती की मांग जोर पकड़ सकती है।

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    इस साल मार्च में आइआइपी में 0.3 प्रतिशत और फरवरी में 2 प्रतिशत वृद्धि हुई थी जबकि जनवरी में इसमें 1.6 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल महीने में मैन्युफैक्चरिंग में 3.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी जबकि पिछले साल समान महीने में इसमें 3.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। यह क्षेत्र इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आइआइपी में इसका योगदान 75 प्रतिशत है। इसी तरह निवेश का पैमाना माने जाने वाले कैपिटल गुड्स में अप्रैल में 24.9 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि पिछले साल इसमें पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। वहीं उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में भी 1.2 प्रतिशत की कमी आयी जबकि पिछले साल समान अवधि में इसमें 2.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में गिरावट आने का सीधा मतलब है कि अर्थव्यवस्था में मांग अभी कमजोर है। इस क्षेत्र मंे विकास काफी हद तक अगले महीनों के दौरान मानसून की बेहतरी और ब्याज दरों में कमी पर निर्भर करेगी।

    इधर कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स में भी 9.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी जबकि पिछले साल इसमें 3.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। हालांकि कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर में 11.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस क्षेत्र की वृद्धि पिछले साल समान महीने में 1.3 प्रतिशत की वृद्धि से बेहतर रही। दूसरा सकारात्मक परिणाम बिजली उत्पादन के संबंध मंे रहा। बिजली उत्पादन में अप्रैल में 14.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि एक साल पहले समान महीने में इसमें 0.5 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। इसी तरह खनन क्षेत्र में भी 1.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले साल इसमें 0.6 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। कुल मिलाकर 22 औद्योगिक समूहों में से नौ क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले गिरावट दर्ज हुई।

    औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के मौजूदा प्रदर्शन को देखते हुए मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के उपाय करने का दवाब सरकार पर बन गया है। वहीं आरबीआइ से भी ब्याज दरांे में कटौती की उम्मीदें बढ़ गयी है।

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