फंसे कर्ज पर चिदंबरम ने बुलाई बैंकों की बैठक
नई दिल्ली [जाब्यू]। फंसे कर्ज [एनपीए] की समस्या को अभी तक खास तवज्जो नहीं देने वाले वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अब इस मुद्दे पर 5 मार्च को बैंकों की बैठक बुलाई है। सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक में चिदंबरम और उनके मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा रिजर्व बैंक के भी आला अधिकारी मौजूद रहेंगे। वैसे, बैठक में कोई खास फैसला हो
नई दिल्ली [जाब्यू]। फंसे कर्ज [एनपीए] की समस्या को अभी तक खास तवज्जो नहीं देने वाले वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अब इस मुद्दे पर 5 मार्च को बैंकों की बैठक बुलाई है। सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक में चिदंबरम और उनके मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा रिजर्व बैंक के भी आला अधिकारी मौजूद रहेंगे। वैसे, बैठक में कोई खास फैसला होने के आसार नहीं हैं। मगर जिन बैंकों में एनपीए की समस्या खतरे की सीमा को पार कर चुकी है, उन्हें उबारने के लिए सभी संबंधित पक्षों से विशेष सुझाव आमंत्रित किए जा सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ हैदराबाद सहित पांच ऐसे बैंक है जिनकी एनपीए समस्या काफी खराब है। यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के एनपीए का औसत कुल अग्रिम के 11 फीसद के करीब पहुंच चुका है। अगर अगले छह महीने तक बैंक ने अपने एनपीए पर काबू नहीं पाया तो इसका सारा मुनाफा खत्म हो सकता है। एक दिन पहले बुधवार को जारी एक एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2013 की तिमाही में बैंकों के एनपीए में 35 फीसद का इजाफा हुआ है। कोटक महिंद्रा बैंक ने अपने एक अध्ययन में कहा है कि लगभग दस लाख करोड़ रुपये के कर्ज की राशि एनपीए में तब्दील हो सकती है। इससे बैंकों को चार लाख करोड़ रुपये की राशि बंट्टे खाते में डालनी पड़ सकती है। अगर ऐसा होता है तो कई बैंकों पर ताला लगाने की नौबत आ सकती है।
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बैंक प्रमुखों के साथ वित्त मंत्री हर तिमाही बैठक करते हैं। पिछले कुछ बैठकों में एनपीए ही मुख्य मुद्दा रहा है। इस दौरान एनपीए की समस्या बद से बदतर हुई है लेकिन वित्त मंत्री इसे स्वीकार नहीं कर रहे। अंतरिम बजट पेश करते हुए भी उन्होंने बस इतना कहा कि जब अर्थंव्यवस्था की स्थिति सुधरेगी तो एनपीए की समस्या में भी सुधार होगा।