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चिदंबरम का दावा, अर्थव्यवस्था संभालने में सफल रही सरकार

वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने दावा किया है कि संप्रग सरकार अर्थव्यवस्था को कठिन परिस्थितियों से उबारने में सफल रही है। साथ ही इसे फिर से तेज विकास की राह पर लेकर आई है। संप्रग के आर्थिक प्रबंधन की आलोचनाओं को भी उन्होंने खारिज कर दिया। उनका दावा जो भी हो मगर यह भी सच है कि संप्रग के शासन में ही वित्त वर्ष 2012-13 में

By Edited By: Published: Wed, 19 Feb 2014 09:38 AM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2014 09:38 AM (IST)

नई दिल्ली। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने दावा किया है कि संप्रग सरकार अर्थव्यवस्था को कठिन परिस्थितियों से उबारने में सफल रही है। साथ ही इसे फिर से तेज विकास की राह पर लेकर आई है। संप्रग के आर्थिक प्रबंधन की आलोचनाओं को भी उन्होंने खारिज कर दिया। उनका दावा जो भी हो मगर यह भी सच है कि संप्रग के शासन में ही वित्त वर्ष 2012-13 में देश की विकास दर पांच फीसद के निचले स्तर पर लुढ़क गई।

सुस्ती से अर्थव्यवस्था अब भी पूरी तरह से निकल नहीं पाई है। इसके चलते चालू वित्त वर्ष में भी विकास की रफ्तार पांच फीसद के आसपास ही सिमटने की आशंका है। एक इंटरव्यू में चिदंबरम ने 2014-15 के अंतरिम बजट को लोकलुभावन बताए जाने को खारिज करते हुए कहा कि सरकार अन्य देशों की तरह पिछले एक-दो साल से लगातार कोशिश कर रही है कि संकट में स्थितियों को कैसे संभाला जाए। यह कहते हुए तकलीफ होती है कि ऐसा करने वाले दुनिया में हम अकेले नहीं हैं। हर वित्त मंत्री यही कह रहा है कि वह बचाव के काम में लगा हुआ है। इसलिए 2013 के आम बजट में जो किया और 2014 के अंतरिम बजट में जो प्रस्ताव किए गए हैं, उन्हें अर्थव्यवस्था को ऐसे समय आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर फिर स्थापित करने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए।

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ग्लोबल अर्थव्यवस्था की स्थिति अभी भी नाजुक है। ऐसे में हम इस प्रयास में काफी हद तक कामयाब रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 4.4 फीसद की वृद्धि दर्ज की जो दूसरी तिमाही में 4.8 प्रतिशत हो गई।

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केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (सीएसओ) के अनुमानों के अनुसार तीसरी और चौथी तिमाही में वृद्धि दर 5.2 फीसद रहने की संभावना है। अपने बजट के बारे में उन्होंने कहा कि पिछले 18 महीनों में कुछ ही देश ऐसा करने में सफल रहे हैं। इसलिए मैं यह नहीं कहता कि जो कुछ हासिल हुआ है, उससे मैं पूरी तरह से खुश हूं। मगर यह जरूर कहूंगा कि हमने जो लक्ष्य तय किए थे, उसमें हमें काफी कामयाबी मिली है। मैंने अपने अंतरिम बजट भाषण के आखिर में जो दस सूत्री एजेंडा पेश किया है, यदि आगे आने वाली सरकारों ने उस पर अमल किया तो अर्थव्यवस्था फिर तेज विकास दर की राह पर आ जाएगी।

संप्रग के आलोचक यह कहते रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्या केवल ग्लोबल वजहों से नहीं है। इस पर चिदंबरम ने कहा, 'मैं भी ऐसा नहीं कह रहा हूं। पिछले समय में कुछ गलतियां जरूर हुई हैं। मगर आज जो समस्या भारत सहित दुनिया के देश झेल रहे हैं, वह मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय परिस्थतियों के कारण है।'

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चूक कहां हुई, यह पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने अर्थशास्त्री टीएन श्रीनिवासन के एक लेख का उल्लेख किया। इसमें कहा गया है कि 2008 के बाद का पहला प्रोत्साहन पैकेज तो जरूरी था। मगर दूसरे और तीसरे पैकेजों की उद्योगों को आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने कहा कि इन पैकेजों का फायदा विकास दर को तो मिला जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की दर आठ फीसद से ऊपर रही। मगर खजाने पर बोझ बढ़ गया और राजकोषीय घाटे की समस्या बढ़ गई। यह सीमा से ऊपर चला गया और महंगाई करीब-करीब बेकाबू हो गई। चिदंबरम ने कहा कि वह अपने उत्तराधिकारी के लिए एक ऐसी अर्थव्यवस्था छोड़ेंगे जो बेहतर, अधिक मजबूत होगी।


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