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    महज 0.35 फीसद ने छोड़ी एलपीजी सब्सिडी

    By Gunateet OjhaEdited By:
    Updated: Sun, 21 Jun 2015 06:49 PM (IST)

    एलपीजी सब्सिडी छोड़ने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील बेअसर साबित हुई है। करीब तीन माह पहले पीएम ने संपन्न लोगों से घरेलू रसोई गैस सिलेंडर क ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। एलपीजी सब्सिडी छोड़ने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील बेअसर साबित हुई है। करीब तीन माह पहले पीएम ने संपन्न लोगों से घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की सब्सिडी छोड़ने का आह्वान किया था, लेकिन अभी तक मात्र 0.35 फीसद ने ही इसे छोड़ा है।

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    पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान की अध्यक्षता में पिछले सप्ताह हुई समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई कि अब तक 15.3 करोड़ एलपीजी उपभोक्ताओं में से मात्र 5.5 लाख ने ही स्वेच्छा से एलपीजी सब्सिडी लेना बंद किया है। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी। प्रधान खुद भी जनवरी से संपन्न लोगों से एलपीजी सब्सिडी नहीं लेने के लिए कह रहे हैं। प्रधानमंत्री ने मार्च में आधिकारिक तौर पर सब्सिडी छोड़ो अभियान शुरू किया था। अधिकारी ने बताया कि इस बारे में सभी सांसदों, विधायकों, सरकारी अधिकारियों और सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यकारियों से अपील की गई है, लेकिन उनकी प्रतिक्रिया उत्साहवर्धक नहीं है।

    अधिकारी ने बताया कि सत्ताधारी दल सहित विभिन्न दलों के तमाम सांसदों ने एलपीजी सब्सिडी लेना बंद नहीं किया है। इसके अलावा विधायकों का रुख भी उत्साहवर्धक नहीं है। पीएम की ओर से शुरू किए गए अभियान को सफल बनाने के लिए प्रधान काफी प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कई अति विशिष्ट लोगों को फोन कर एलपीजी सब्सिडी छोड़ने को कहा है।

    ये छोड़ चुके हैं सब्सिडी

    प्रधान की अपील के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली सहित कई मंत्रियों ने सब्सिडी वाला एलपीजी सिलेंडर लेना बंद कर दिया है। इनमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी शामिल हैं। लेकिन, यह अभियान अभी तक वांछित सफलता हासिल नहीं कर सका है। उपभोक्ताओं को अभी साल भर में 14.2 किग्रा के 12 या पांच किग्रा वाले 34 सिलेंडर सब्सिडी वाली दरों पर मिलते हैं।

    घट सकता है सब्सिडी बिल

    एलपीजी सब्सिडी छोड़ने से सरकार के सब्सिडी बिल में काफी कमी आ सकती है। बीते वित्त वर्ष में ईधन सब्सिडी 36,580 करोड़ रुपये रही थी। 2015-16 के बजट अनुमान में पेट्रोलियम सब्सिडी को 60,270 करोड़ रुपये से घटाकर 30,000 करोड़ रुपये किया गया है। इसमें से 22,000 करोड़ एलपीजी के लिए और शेष मिट्टी के तेल के लिए रखे गए हैं।

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