ई-कॉमर्स को बढ़ावे से आरबीआइ के प्रयासों को मदद
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने हाल ही में देश में नकदी के ज्यादा इस्तेमाल पर चिंता जताई है। ऐसे में ई-कॉमर्स को नकदी के उपयोग में कमी लाने के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने हाल ही में देश में नकदी के ज्यादा इस्तेमाल पर चिंता जताई है। ऐसे में ई-कॉमर्स को नकदी के उपयोग में कमी लाने के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। ऑनलाइन शॉपिंग से न सिर्फ अर्थव्यवस्था में नकदी के ज्यादा उपयोग की खामी दूर की जा सकती है, बल्कि शहर और गावों में सुविधाओं के अंतर को भी काफी किया जा सकता है। आरबीआइ के मुताबिक देश के सकल घरेलू उत्पाद में नकदी सौदों की हिस्सेदारी 12 फीसद से ज्यादा है, जो अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कहीं ज्यादा है।
बैंकों को डेबिट और क्रेडिट कार्ड जारी करने की सुविधा देने वाली कंपनी वीजा के ग्रूप कंट्री मैनेजर (भारत और दक्षिण एशिया) उत्तम नायक ने कहा कि ई-कॉमर्स अब केवल ऑनलाइन शापिग तक सीमित नहीं है। इसके जरिये लोगों को विभिन्न सेवाओं के लिए लगने वाली लंबी-लंबी लाइनों से भी मुक्ति मिल रही है। बिलों के भुगतान, यात्रा और सिनेमाघरों के लिए टिकट से लेकर तमाम तरह के भुगतान इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किए जा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक भुगतान को बढ़ावा देने में डेबिट कार्डो की भूमिका सबसे ज्यादा रही है। अनुमान के मुताबिक देश के करीब 25 फीसद लोगों के पास अब डेबिट कार्ड हैं।
असल में ई-कॉमर्स अब एक क्रांति के रूप में उभर रहा है। इसे सबसे ज्यादा प्रोत्साहन आरबीआइ की ओर से मिल रहा है। आरबीआइ के लगातार नियमन की वजह से सुरक्षित ऑनलाइन ट्राजेक्शन के मामले में देश विकसित देशों को भी टक्कर दे रहा है। देश के कई प्रमुख बैंकों ने इस माध्यम को सुरक्षित बनाने के लिए वीजा वेरिफिकेशन की व्यवस्था अपनाई है।
वीजा के मुताबिक सीकर, बागपत, सावई माधोपुर और शाहजहापुर जैसे छोटे कस्बे ई-कॉमर्स के मामले में बड़े शहरों को टक्कर दे रहे हैं। पिछले दिनों हरियाणा के कैथल कस्बे के एक युवक धरमवीर ने वीजा डेबिट कार्ड से एक महीने में देश में सबसे ज्यादा ट्राजैक्शन किए हैं। वीजा द्वारा ई-कॉमर्स को बढ़ावा देन के अभियान के तहत धरमवीर को प्रोत्साहन के तौर पर एक आइपॉड 2 हासिल हुआ है।
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