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    प्याज का संकट और गहराया

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    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    प्रमुख उत्पादक मंडियों में आवक घटने व दाम बढ़ने से देश के बाकी हिस्सों में भी प्याज का संकट और गहराने लगा है। आपूर्ति बढ़ाने के सरकारी उपायों का कोई अ ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली [जाब्यू]। प्रमुख उत्पादक मंडियों में आवक घटने व दाम बढ़ने से देश के बाकी हिस्सों में भी प्याज का संकट और गहराने लगा है। आपूर्ति बढ़ाने के सरकारी उपायों का कोई असर मंडियों पर पड़ता नहीं दिख रहा। उलटा प्याज और महंगा हो गया है। इससे हलकान दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, कृषि मंत्री शरद पवार और खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री केवी थॉमस से गुरुवार को मुलाकात करेंगी।

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    पढ़ें : प्याज ने छुड़ाए पसीने, 100 रुपये पहुंचे दाम

    देश की सबसे बड़ी उत्पादक मंडी लासलगांव में प्याज का खुदरा मूल्य 80 रुपये के उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा है। राजधानी दिल्ली व आसपास प्याज आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गया है। सभी प्रमुख मंडियों में आवक प्रभावित होने लगी है। सरकार की ओर से भी प्याज आयात की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। केंद्र ने प्याज संकट से निपटने के लिए प्रमुख उत्पादक पांच राज्यों-महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान के कृषि सचिवों की बैठक 25 अक्टूबर को बुलाई है।

    केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के ताजा बयान से प्याज का पर्याप्त स्टॉक नहीं होने के संकेत मिलने लगे हैं। उन्होंने कहा कि कीमतों में यह तेजी अगले दो तीन सप्ताह तक बनी रहेगी। विश्व के दूसरे देशों में प्याज सस्ती है। इसलिए प्याज की महंगाई रोकने के लिए फिलहाल आयात ही एकमात्र रास्ता है। कृषि मंत्रालय के निर्देश पर नैफेड ने पाकिस्तान, चीनी, इरान और मिस्त्र से प्याज आयात के सौदे टटोलने शुरू कर दिए हैं।

    राजधानी दिल्ली में प्याज का खुदरा मूल्य 90 रुपये प्रति किलो पहुंच गया है। नाशिक, लासलगांव, पिंपलगाव और पुणे में प्याज की आवक में भारी गिरावट दर्ज की गई है। मंगलवार को लासलगांव में 4,000 क्विंटल प्याज की आवक हुई थी। बुधवार को यह घटकर 1,500 क्विंटल रह गई है। स्थानीय मंडियों में पुरानी प्याज का खुदरा मूल्य 70 से 80 रुपये किलो पहुंच गया है। पिंपलगांव में मूल्य 62 रुपये तक बोला गया। इससे फिलहाल आने वाले दिनों में प्याज के दाम घटने की संभावना न के बराबर ही है।

    हरियाणा ने प्याज के जमाखोरों के खिलाफ छापामार अभियान छेड़ दिया है, मगर बाकी राज्यों में इस संबंध में फिलहाल कुछ नहीं हो रहा है। कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव संजीव चोपड़ा का कहना है कि प्याज संकट के लिए राज्यों की लापरवाही जिम्मेदार है। ज्यादातर राज्यों में मंडी कानून न होने से यह गड़बड़ी हो रही है। इस बारे में राज्यों को गंभीरता से विचार करना होगा।

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