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रेल और सड़क की अड़चनें दूर करने की मुहिम

एक साल में मोदी सरकार ने देश के खराब बुनियादी ढांचे को दुरुस्त कर उसे विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में बुनियादी काम किया है। इसके तहत पुनर्गठन व विकेंद्रीकरण के जरिये रेलवे को निवेशकों और ग्राहकों के अनुकूल बनाने के उपाय किए गए हैं। दूसरी तरफ, सड़क निर्माण की रफ्तार

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sun, 24 May 2015 12:13 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2015 12:20 PM (IST)

नई दिल्ली, [संजय सिंह]। एक साल में मोदी सरकार ने देश के खराब बुनियादी ढांचे को दुरुस्त कर उसे विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में बुनियादी काम किया है। इसके तहत पुनर्गठन व विकेंद्रीकरण के जरिये रेलवे को निवेशकों और ग्राहकों के अनुकूल बनाने के उपाय किए गए हैं। दूसरी तरफ, सड़क निर्माण की रफ्तार बढ़ाने के लिए कंपनियों की मुश्किलें दूर करने का प्रयास किया गया है। पूर्वोत्तर व सीमावर्ती इलाकों में राजमार्गों का जाल बिछाने के लिए एनएचआइडीसीएल नामक सार्वजनिक कंपनी का गठन किया गया है, जबकि नक्सल इलाकों में सड़क निर्माण को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय ठेकेदारों को छोटे-छोटे ठेके देने की नीति अपनाई गई है। इनका असली प्रतिफल अगले एक साल में दिखाई देगा।

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रेलवे

मोदी सरकार ने रेलवे को शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया है। 2015-16 के रेल बजट में रेलवे को लोकलुभावन राजनीति का औजार बनाने के बजाय उसे वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर, ग्राहकों के अनुकूल और निवेशकों के लिए आकर्षक बनाने पर जोर दिया गया है। इसके लिए रेल मंत्रालय की कमान पहले सदानंद गौड़ा को और फिर सुरेश प्रभु को सौंपी गई। अपने पहले ही रेल बजट में प्रभु ने पेशेवर हुनर का प्रदर्शन करते हुए रेलवे के कायाकल्प की पंचवर्षीय योजना पेश कर दी है। इसके अंतर्गत अगले पांच वर्षों में रेलवे में साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये निवेश करने का प्रस्ताव है। इनमें से डेढ़ लाख करोड़ का निवेश भारतीय जीवन बीमा निगम के मार्फत होगा। इसके लिए रेलवे और एलआइसी में बाकायदा करार हुआ है। यही नहीं, मोदी सरकार ने रेलवे के बजट आवंटन में भी खासी बढ़ोतरी की है और चालू वित्त वर्ष के लिए इसे बढ़ाकर 60 हजार करोड़ रुपये कर दिया है। निजी और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के पारदर्शी नियम बनाए गए हैं। रेलवे के कामकाज को अफसरशाही से मुक्त करने के लिए पहली मर्तबा रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन की साहसी प्रक्रिया शुरू की गई है। इसके अलावा विभागीय खींचतान को रोकने, प्रक्रियाओं को आसान बनाने और अधिकारों के विकेंद्रीकरण के भी गंभीर और अभिनव प्रयोग किए गए हैं। अब 500 करोड़ रुपये तक के टेंडरों पर निर्णय रेल मंत्री या रेलवे बोर्ड चेयरमैन व सदस्यों के बजाय महाप्रबंधक और मंडल रेल प्रबंधक कर रहे हैं। इससे जोनों व मंडलों में निर्णय और काम की रफ्तार बढ़ी है। उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है। इसी का नतीजा है कि तीन महीने के भीतर रेल बजट से जुड़े 41 प्रस्तावों को लागू करने में सरकार को कामयाबी मिली है।

सड़क

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले साल वादा किया था कि दो साल में रोजाना 30 किलोमीटर सड़कों का निर्माण होने लगेगा। एक साल बाद जिस तरह रोजाना लगभग 14-15 किलोमीटर सड़कें बनने लगी हैं, उससे लगता है कि सरकार वादा पूरा करेगी।

सड़क परियोजनाओं पर अंतरमंत्रालयी अड़चनों को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री ने गडकरी की अध्यक्षता में एक इन्फ्रास्ट्रक्चर ग्रुप का गठन किया है। यह पर्यावरण, रेल और रक्षा मंत्रालय से जुड़े मसलों का समाधान करता है। इस समूह ने रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज/अंडरब्रिज बनाने में होने वाली देरी का स्थायी समाधान निकाला है। इसके तहत अब ओवरब्रिज/अंडरब्रिज का निर्माण रेलवे के बजाय सड़क मंत्रालय करेगा। रेलवे केवल डिजाइन मंजूर करेगा। इसके लिए चुनिंदा डिजाइन तय कर दिए गए हैं और एक पोर्टल बना दिया गया है।

इस बीच गडकरी ने 80 हजार करोड़ की ढाई सौ निर्माणाधीन परियोजनाओं के मार्ग की रुकावटें दूर करने में काफी हद तक कामयाबी हासिल की है। इस दिशा में 64 कांट्रैक्ट पैकेज के तहत 83 पुराने मामलों का एकमुश्त निपटारा किया गया है। इसके अलावा विवाद निपटान की नई त्रिस्तरीय व्यवस्था बनाई गई है। नई परियोजनाओं के ठेके पीपीपी और ईपीसी दोनों मोड पर दिए जा सकेंगे। सड़क मंत्रालय के अधिकार भी बढ़ाए गए हैं। अब वह 1000 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूर कर सकेगा। पहले यह सीमा 500 करोड़ रुपये थी। डेवलपर्स को कर्ज लेने में आ रही परेशानी के मद्देनजर सरकार ने उन्हें दो साल बाद परियोजनाओं से हटने और उनकी इक्विटी नई परियोजनाओं में लगाने की अनुमति दे दी है। कन्सेशन एग्रीमेंट के प्रारूप में भी संशोधन किया जा रहा है। परिणामस्वरूप चालू वित्त वर्ष के दौरान तीन लाख करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाओं के ठेके दिए जाने की संभावना है। पिछले साल 8000 किलोमीटर सड़क परियोजनाओं के ठेके दिए गए थे।

सुधारों का एक साल

रेल

* स्वच्छ रेल स्वच्छ भारत अभियान, 650 स्टेशनों में बायोटॉयलेट

* यात्री सुविधाओं के लिए 138 व सुरक्षा के लिए 182 हेल्पलाइन

* महिलाओं के डिब्बे में सीसीटीवी कैमरे, 200 नए आदर्श स्टेशन बनेंगे

* स्मार्टफोन पर अनारक्षित टिकट, वेंडिंग मशीनों में स्मार्ट कार्ड सुविधा

* ट्रेनों में ई-कैटरिंग, फोन व आइआरसीटीसी वेबसाइट पर बुकिंग

* 7000 किमी दोहरीकरण, तिहरीकरण व चौहरीकरण का प्रस्ताव

* 30 लंबित प्रोजेक्ट पूरे होने को, 77 को जल्द पूरा करने पर निर्णय

* 6608 किमी विद्युतीकरण, माल गलियारे के ठेकों में तेजी

* निफ्ट को बेडरोल व एनआइडी को कोच डिजाइन करने का जिम्मा

* 970 आरओबी/आरयूबी बनाने, 3438 क्रासिंग खत्म करने पर काम

* कटरा से दिल्ली के बीच ट्रेनें शुरू, मेघालय रेल नेटवर्क से जुड़ा

* रेल और सड़क की दिक्कतें दूर करने की मुहिम

सड़क

* प्रतिदिन 30 किमी सड़क निर्माण लक्ष्य, 14 किमी हो रहा निर्माण

* आठ हजार किमी सड़कों के ठेके दिए, तीन लाख करोड़ का लक्ष्य

* 61 पुलों पर टोल वसूली बंद, राजमार्गों पर इलेक्ट्रॉनिक टोलिंग शुरू

* पूर्वोत्तर व सीमावर्ती सड़कों के निर्माण के लिए एनएचआइडीसीएल

* एनएचएआइ के पुनर्गठन का प्रयास, नए अध्यक्ष की नियुक्ति जल्द

* 80 सड़क परियोजना विवादों का एकमुश्त निपटारा

* लंबित परियोजनाओं का काम तेज करने के लिए कंपनियों को रियायत

* कंपनियों को परियोजना से दो साल बाद निकल कर नए प्रोजेक्ट में धन लगाने की छूट मिली

श्रम सुधारों के कठिन रास्ते पर आगे बढ़ने की साहसिक पहल

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