जिंदल, बाल्को को नहीं मिले कोयला ब्लॉक
केंद्र सरकार ने कोल ब्लॉक आवंटन में एक अहम फैसला करते हुए चार कोयला खदानों की नीलामी रद कर दी है। सरकार मानती है कि इन चार ब्लॉकों के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों का तरीका सही नहीं था।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र सरकार ने कोल ब्लॉक आवंटन में एक अहम फैसला करते हुए चार कोयला खदानों की नीलामी रद कर दी है। सरकार मानती है कि इन चार ब्लॉकों के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों का तरीका सही नहीं था।
पारदर्शी तरीके से निविदा प्रक्रिया होने के बावजूद गड़बड़ी की आशंका में सरकार ने इन ब्लॉकों में आवंटन की प्रक्रिया रोक दी थी। शुक्रवार को देर रात में पांच कोयला ब्लॉकों के लिए लगाई गई बोली को तो स्वीकार कर लिया गया, लेकिन चार की नीलामी प्रक्रिया निरस्त कर दी गई।
सरकार के इस फैसले से जिंदल समूह और बाल्को को धक्का लगा है। ये दोनों निजी क्षेत्र की देश की बड़ी कंपनियां हैं। रद किए गए चार ब्लॉकों में से तीन गारे पालमा 4-2, गारे पालमा 4-3 और तारा ब्लॉक के लिए सबसे ज्यादा बोली जिंदल समूह की स्टील व बिजली कंपनी ने लगाई थी। जबकि चौथे रद कोयला ब्लॉक- गारे पालमा 4-1 के लिए भारत अल्युमिनियम कंपनी (बाल्को) ने सबसे ज्यादा बोली लगाई थी।
जिंदल पावर ने सरकार के इस कदम पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा है कि उसने जो बोली लगाई थी, उससे जनता और सरकार को 58,572 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचता। कंपनी कोयला मंत्रालय को सही स्थिति से अवगत कराने की कोशिश करेगी।
कोयला सचिव अनिल स्वरूप ने दो दिन पहले ही दैनिक जागरण को बताया था कि नौ ब्लॉकों के लिए जो बोली लगाई थी वह ट्रेंड से अलग हट कर थी। यही वजह है कि इनकी पूरी प्रक्रिया पर फिर से विचार किया जा सकता है। पहले मंत्रालय की ओर से आशंका जताई गई थी कि कंपनियों के बीच मिलीभगत करके निर्धारित सीमा से महज कुछ रुपये ज्यादा की बोली लगाई गई है। माना जा रहा है कि इन पांचों रद कोयला ब्लॉकों को कोल इंडिया को सौंप दिया जाएगा।
नौ कोयला ब्लॉकों में निविदा को रोकने के फैसले पर देश के उद्योग जगत ने कड़ी आपत्ति जताई है। उद्योग चैंबर फिक्की और एसोचैम ने बयान जारी कर कहा है कि जब सरकार पारदर्शी तरीके निविदा प्रक्रिया पूरी कर रही है तो उसे इसका पालन भी करना चाहिए। हालांकि बाद में फिक्की की अध्यक्षा ज्योत्सना सूरी ने कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए सही तरीका अपनाया जा रहा है।