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    जेट, स्पाइस और किंगफिशर की आर्थिक हालत चिंताजनक

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    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    नई दिल्ली। देश की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन के रुतबे तक पहुंचने के बाद धड़ाम हुई किंगफिशर के नक्शेकदम पर जेट एयरवेज और स्पाइसजेट भी बढ़ रही हैं। इन तीनों सूचीबद्ध कंपनियों की माली हालात पर इनके ऑडिटरों ने ही अपनी रिपोर्ट में सवाल खड़े किए हैं। जुलाई-सितंबर तिमाही नतीजों की समीक्षा करने के बाद जो रिपोट

    नई दिल्ली। देश की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन के रुतबे तक पहुंचने के बाद धड़ाम हुई किंगफिशर के नक्शेकदम पर जेट एयरवेज और स्पाइसजेट भी बढ़ रही हैं। इन तीनों सूचीबद्ध कंपनियों की माली हालात पर इनके ऑडिटरों ने ही अपनी रिपोर्ट में सवाल खड़े किए हैं।

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    जुलाई-सितंबर तिमाही नतीजों की समीक्षा करने के बाद जो रिपोर्ट ऑडिटरों ने दी है, उसमें इनके गोइंग कंसर्न दर्जे पर सवालिया निशान लगाया गया है। गोइंग कंसर्न दर्जा ऐसी कंपनियों को ही दिया जाता है जिनके पास लंबे समय तक परिचालन के लिए संसाधन उपलब्ध होते हैं। साथ ही उनके दिवालिया होने का खतरा भी नहीं होता है। पहले से ही जमीन पर खड़ी किंगफिशर एयरलाइन के ऑडिटरों ने सबसे कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है। इसके अलावा नरेश गोयल के स्वामित्व वाली जेट और मारन परिवार की स्पाइसजेट के ऑडिटर ने भी कंपनियों की माली हालत को खस्ता बताया है।

    किंगफिशर का उड़ान परमिट खत्म हो चुका है। साथ ही बैंक भी कर्ज वापस लेने के लिए दबाव बना रहे हैं। हालांकि, कंपनी ने दोबारा परिचालन शुरू करने के लिए योजना तैयार की है। बीती तिमाही में कंपनी ने 715 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दिखाया था। वहीं, जेट के संबंध में ऑडिटर्स ने कहा कि काफी कुछ एतिहाद एयरवेज के साथ हुए समझौते के लागू होने पर निर्भर करता है। जेट ने एतिहाद को 24 फीसद हिस्सेदारी बेची थी लेकिन नियामकीय मंजूरियों के न मिलने के चलते यह सौदा अटका हुआ है। कंपनी को दूसरी तिमाही में 891 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। उधर, स्पाइसजेट को 559 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है।