मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए करो निवेश, पाओ 'निवासी' का दर्जा
'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने को सरकार ने विदेशी निवेशकों को रिझाने की योजना बनायी है। भारत आने के लिए उन्हें वीजा लेने की जरुरत नहीं होगी।
नई दिल्ली [हरिकिशन शर्मा]। सरकार महत्वाकांक्षी 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के लिए विदेशी निवेशकों को रिझाने के लिए बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत केंद्र ने विदेशी निवेशकों को भारत के 'निवासी' का दर्जा देने का प्रस्ताव किया है। ऐसा होने पर भारत में कारोबार के लिए आने वाले विदेशी निवेशकों को बार-बार वीजा लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि विदेशी निवेशकों को इसके लिए कुछ शर्तो का पालन जरूर करना होगा।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग सहित विभिन्न पक्षांे के साथ विचार विमर्श के बाद गृह मंत्रालय ने 'स्थायी निवासी योजना' (परमानेंट रेजीडेंसी स्कीम) का ड्राफ्ट कैबिनेट नोट तैयार कर संबंधित मंत्रालयों के पास भेजा दिया है। जल्द ही इसे कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है। इसके तहत विदेशी निवेशकों को एक निश्चित सीमा से अधिक राशि का निवेश करने पर भारत के निवासी का दर्जा दिया जा सकेगा।
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सूत्रों ने कहा कि सरकार इस योजना के सामरिक और आर्थिक सभी प्रकार के पहलुओं को ध्यान में रखकर कदम बढ़ा रही है। सरकार ने विदेशी निवेशकों को निवासी का दर्जा देने का कदम मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने के इरादे से उठाया है। हालांकि इसके लिए विदेशी निवेशकों को कुछ शर्तो का पालन करना होगा। विकसित देशों में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए ऐसी व्यवस्था चलती है। फिलहाल विदेशी निवेशकों को एक बार में पांच साल के लिए बिजनेस वीजा दिया जाता है। यही वजह है कि सरकार विदेशी निवेशकों को निवासी का दर्जा देना चाहती है जिसके बाद उन्हें दीर्घावधि तक भारत-आने जाने की सुविधा प्राप्त होगी।उल्लेखनीय है कि कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे विकसित देशों में निवेशकों के लिए इस तरह की उदार व्यवस्था है।
इन देशों में विदेशी निवेशकों को एक निश्चित सीमा से ऊपर निवेश करने पर वीजा के नियमों और नागरिकता के नियमों में वरीयता दी जाती है। सरकार ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एफडीआइ नियमों को उदार बनाने के साथ-साथ लंबित सुधारों को लागू करने की दिशा में सरकार ने तेजी से कदम बढ़ाया है। ऐसे में माना जा रहा है कि केंद्र की यह पहल दीर्घावधि निवेश आकर्षित करने की दिशा में बेहद कारगर साबित हो सकती है।