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लॉर्ड स्वराज पॉल को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान

दिग्गज अप्रवासी भारतीय उद्यमी लॉर्ड स्वराज पाल को 'इंटरनेशनल इंडियन ऑफ द डिकेड' सम्मान से नवाजा गया है। उद्योग, शिक्षा और समाजिक कार्यो में उनके उल्लेखनीय योगदान के कारण उन्हें यह अवॉर्ड दिया गया है। ब्रिटेन में भारत के कार्यकारी उच्चायुक्त वीरेंद्र पॉल ने स्थानीय पत्रिका इंडिया लिंक इंटरनेशनल की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्वर

By Edited By: Published: Sat, 16 Nov 2013 09:54 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
लॉर्ड स्वराज पॉल को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान

लंदन। दिग्गज अप्रवासी भारतीय उद्यमी लॉर्ड स्वराज पाल को 'इंटरनेशनल इंडियन ऑफ द डिकेड' सम्मान से नवाजा गया है। उद्योग, शिक्षा और समाजिक कार्यो में उनके उल्लेखनीय योगदान के कारण उन्हें यह अवॉर्ड दिया गया है। ब्रिटेन में भारत के कार्यकारी उच्चायुक्त वीरेंद्र पॉल ने स्थानीय पत्रिका इंडिया लिंक इंटरनेशनल की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्वराज पॉल को अवॉर्ड सौंपा।

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सम्मान स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि 82 वर्ष की आयु में अब यह सम्मान अपनी पत्‍‌नी अरुणा को समर्पित करना चाहता हूं। पत्‍‌नी के समर्थन के बिना आप कहीं नहीं पहुंच सकते। लॉर्ड पॉल द्वारा स्थापित स्टील एवं इंजीनियरिंग समूह कपारो में ब्रिटेन, अमेरिका और भारत के करीब 10,000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। वर्ष 1996 में ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ लॉर्डस के सदस्य बने पॉल ने वर्ष 1994 में लंदन जू को बंद होने से बचाने के लिए 10 लाख पौंड का दान दिया था।

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वर्ष 2008 में वह हाउस ऑफ लार्डस में भारतीय मूल के पहले डिप्टी स्पीकर बने। उन्हें वर्ष 2009 में प्रिवी काउंसिल का सदस्य भी बनाया गया। वह वर्ष 2000 से 2008 तक लंदन डेवलपमेंट एजेंसी के सदस्य रहे और 2005 से 2008 के बीच एलडीए ओलंपिक डिलीवरी कमेटी की अध्यक्षता की। यह कमेटी लंदन ओलंपिक खेलों के लिए बजट, जमीन और आधारभूत संरचनाएं समय पर उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार थी।

1999 में उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ वोल्वरहैम्पटन का चांसलर नियुक्त किया गया। वर्ष 2006 में वह यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिन्स्टर के चांसलर बने। इससे पहले वे वर्ष 1992-97 में टेम्स यूनिवर्सिटी के प्रो-चांसलर और 1998 में चांसलर रह चुके है। लॉर्ड पॉल को भारत सरकार वर्ष 1983 में पद्म विभूषण सम्मान से नवाज चुकी है। उन्हें ब्रिटेन, भारत, अमेरिका और स्विटजरलैंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों से 15 मानद उपाधियां मिल चुकी हैं।


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