कमजोर मानसून व सूखे की आशंका और बढ़ सकती है महंगाई
किसान पहले ही बेमौसम बारिश से हुई तबाही से जूझ रहे हैं। उससे उबरे भी नहीं हैं कि सूखे का मंडराता खतरा उनकी खरीफ फसल से अछी पैदावार की उम्मीदें भी तोड़ता नजर आ रहा है। इन सब के बीच महंगाई अपने चरम पर पहुंचती जा रही है।
नई दिल्ली। किसान पहले ही बेमौसम बारिश से हुई तबाही से जूझ रहे हैं। उससे उबरे भी नहीं हैं कि सूखे का मंडराता खतरा उनकी खरीफ फसल से अछी पैदावार की उम्मीदें भी तोड़ता नजर आ रहा है। इन सब के बीच महंगाई अपने चरम पर पहुंचती जा रही है। पिछले एक सप्ताह में दाल की कीमतों में 20 से 25 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। वहीं सब्जियों की कीमतें भी आसमान छू रही हैं।
मानसून के कमजोर होने की आशंका
मंगलवार को भूमि विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की ओर से मानसून का संशोधित पूर्वानुमान किसानों की मुश्किलों को और बढ़ाने वाला साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि मुझे बहुत भारी मन से कहना पड़ रहा है कि हमारे संशोधित पूर्वानुमान के अनुसार इस साल दीर्घावधि औसत की महज 88 फीसद बारिश होगी। मौसम विभाग ने अप्रैल में जारी पूर्वानुमान में कहा था कि देश में मानसून की वर्षा औसत से 93 फीसद होगी। इसे सामान्य से कम माना जाता है।
बढ़ी कीमतों पर रार
खुदरा दुकानदारों का कहना है कि उत्तर भारत में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से दलहन और तिलहन की ज्यादातर फसल खराब हो गई है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान से दिल्ली की थोक मंडी खारी बावली में दलहन-तिलहन की आवक कम हुई है। इसके चलते थोक व्यापारियों ने दलहन-तिलहन की जमाखोरी शुरू कर दी है, जिससे दाम में बढ़ोतरी हुई। वहीं दिल्ली ग्रेन मर्चेट्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि दाल की आवक नियमित हो रही है। थोक में दाल के दाम बजट में हैं, इनमें बढ़ोतरी नहीं हुई है। खुदरा व्यापारी मनमाने तरीके से दाम बढ़ा रहे हैं।
व्यापारियों की मानें तो उड़द की दाल आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश से आती है। आवक में कमी के कारण एक हफ्ते पहले जहां 80 से 95 रुपये प्रति किलो बिक रही थी, वही अब 100 से 120 रुपये प्रति किलो बिक रही है। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी अरहर की कीमतों में हुई है।
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