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थोक महंगाई की दर नौ माह के निचले स्तर पर

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पिछले वर्ष राज्यों के चुनाव में महंगाई का दंश झेल चुकी कांग्रेस के लिए आम चुनाव से पहले कुछ राहत भरी खबर है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि थोक मूल्य आधारित महंगाई में थोड़ी नरमी आई है। फरवरी में इस महंगाई की दर पिछले नौ महीनों के सबसे निचले स्तर 4.68 फीसद पर पहुंच गई है।

By Edited By: Published: Fri, 14 Mar 2014 03:29 PM (IST)Updated: Fri, 14 Mar 2014 08:28 PM (IST)
थोक महंगाई की दर नौ माह के निचले स्तर पर

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पिछले वर्ष राज्यों के चुनाव में महंगाई का दंश झेल चुकी कांग्रेस के लिए आम चुनाव से पहले कुछ राहत भरी खबर है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि थोक मूल्य आधारित महंगाई में थोड़ी नरमी आई है। फरवरी में इस महंगाई की दर पिछले नौ महीनों के सबसे निचले स्तर 4.68 फीसद पर पहुंच गई है। अब सभी की नजर रिजर्व बैंक (आरबीआइ) पर है कि वह महंगाई दर में हो रही कमी को देखते हुए ब्याज दरों में राहत देता है या नहीं।

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सरकार की तरफ से जारी आंकड़े के मुताबिक खाद्य उत्पादों की कीमतों में फरवरी में तेजी से गिरावट आई है। इसकी उम्मीद पहले से ही लगाई जा रही थी। पिछले एक वर्ष से महंगाई को सबसे ज्यादा हवा खाद्य उत्पादों की कीमतों से मिल रही थी। समीक्षाधीन माह में खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति दर 8.12 फीसद रही। इससे पिछले महीने यह दर 8.8 फीसद थी। फलों और दूध को छोड़ कर लगभग अन्य सभी खाद्य उत्पादों की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। प्याज की थोक कीमत में इस महीने 20 फीसद लुढ़क गईं, जबकि सितंबर, 2013 में इसमें 335 फीसद का इजाफा हुआ था। उसके बाद हुए चार राज्यों के चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह से पराजय का मुंह देखना पड़ा था। गेहूं और दालों की कीमतों में भी नरमी का रुख है।

चुनाव से पहले महंगाई के नरम तेवर देख कर जाहिर है कि सरकार खुश होगी। वित्त मंत्री ने इस पर खुशी जताई है, लेकिन यह भी कहा है कि अभी महंगाई पर और कड़ी नजर रखने की जरूरत है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया का कहना है कि थोक मूल्य के साथ ही खुदरा महंगाई दर में गिरावट एक स्वागतयोग्य कदम है। लेकिन अभी किसी नतीजे पर पहुंचने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। वित्त सचिव ने कहा है कि महंगाई की दर में दो महीने से गिरावट है। अब समय आ गया है कि विकास को प्रोत्साहन दिया जाए और आरबीआइ को इस संदर्भ में कदम उठाने चाहिए। वैसे, जानकारों का कहना है कि हर वर्ष इस मौसम में महंगाई में थोड़ी नरमी आती है। ऐसे में रिजर्व बैंक काफी सोच-समझ कर ब्याज दरों पर फैसला करेगा।

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उद्योग संगठन सीआइआइ, फिक्की, एसोचैम, पीएचडी चैंबर ने महंगाई की नरमी को देखते हुए अपील की है कि केंद्रीय बैंक को ब्याज दर घटाना चाहिए। ऐसा करना निवेश को बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी है। पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष शरद जयपुरिया ने कहा है कि रेपो रेट में कटौती करने का यह सबसे माकूल वक्त है।

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