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ढीले पड़े महंगाई के तेवर

महंगाई कम करने का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार के लिए यह वाकई काफी राहतभरी खबर है। मोदी सरकार के पहले महीने के दौरान महंगाई दर में वृद्धि अपेक्षाकृत काफी कम देखने को मिली है। जून में खुदरा मूल्यों वाली महंगाई दर घटकर 30 महीने के न्यूनतम स्तर 7.31 पर आ गई है। इसी तरह बीते महीने थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई की दर घटकर 5.43 प्रतिशत रह गई है। यह इसका चार महीनों का निचला स्तर है।

By Edited By: Published: Mon, 14 Jul 2014 02:36 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jul 2014 09:56 PM (IST)
ढीले पड़े महंगाई के तेवर

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। महंगाई कम करने का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार के लिए यह वाकई काफी राहतभरी खबर है। मोदी सरकार के पहले महीने के दौरान महंगाई दर में वृद्धि अपेक्षाकृत काफी कम देखने को मिली है। जून में खुदरा मूल्यों वाली महंगाई दर घटकर 30 महीने के न्यूनतम स्तर 7.31 पर आ गई है। इसी तरह बीते महीने थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई की दर घटकर 5.43 प्रतिशत रह गई है। यह इसका चार महीनों का निचला स्तर है।

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कई जानकारों ने इसे महंगाई की दर में स्थायी तौर पर कमी आने के तौर पर देखा है। हाल के दिनों में आलू और प्याज जैसी चीजों के दाम नीचे लाने के लिए मोदी सरकार के ताबड़तोड़ फैसलों के बाद महंगाई पर लगाम लगने की संभावना और बढ़ गई है। वाणिज्य मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर मई में 6.01 प्रतिशत थी। जून में सब्जियों, ईधन, खाद्य तेल, चीनी, प्याज की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले कमी की वजह से मुद्रास्फीति की यह दर घटी है। इस दौरान सरकार ने प्याज की कीमतें नियंत्रित करने के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य 500 डॉलर प्रति टन तथा आलू का 450 डॉलर प्रति टन तय किया था ताकि घरेलू आपूर्ति बढ़ाई जा सके। इसके अलावा 50 लाख टन चावल खुले बाजार में बेचने का फैसला भी किया था। इसका असर जुलाई के आंकड़े पर साफ तौर पर देखने को मिलेगा। हालांकि इसके बावजूद मानसून कमजोर रहने की आशंका के बीच महंगाई के सिर उठाने के आसार बरकरार रहेंगे।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा महंगाई जून में घटकर 7.31 प्रतिशत रह गई है। मई में यह दर 8.28 प्रतिशत थी। इससे पहले खुदरा महंगाई का न्यूनतम स्तर 7.65 प्रतिशत जनवरी, 2012 में था। खुदरा महंगाई में यह गिरावट खाद्य वस्तुओं की कीमत में कमी आने के चलते ही आई है। अनाज और सब्जियों की मूल्यवृद्धि की रफ्तार कम हुई है। इसी तरह दूध की कीमत बढ़ने की रफ्तार भी थोड़ा घटी है, लेकिन यह अब भी दहाई में है।

..तो हो सकती है ब्याज दरों में कमी

थोक और खुदरा महंगाई की दर में इस कमी का अर्थविदों के साथ उद्योग जगत ने भी स्वागत किया है। जुलाई के दौरान भी अगर महंगाई में नरमी का यह दौर जारी रहता है, तो इससे अगस्त, 2014 में रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरों को घटाने का रास्ता साफ हो सकता है।

पढ़ें: उद्योगों की रफ्तार 19 माह के उच्चतम पर


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