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सोने का आयात घटाने की हड़बड़ी में नहीं सरकार

सोने के बढ़ते आयात में कमी लाने के सरकार के पास उपाय सीमित होते जा रहे हैं। शुल्क न बढ़ा पाने की मजबूरी में सरकार के पास आयात को प्रोत्साहित करने वाली स्कीमों को बंद करने के अलावा ठोस विकल्प नहीं बचे हैं। लिहाजा, फिलहाल सरकार की तरफ से सोने

By Manoj YadavEdited By: Published: Sun, 30 Nov 2014 06:35 PM (IST)Updated: Sun, 30 Nov 2014 06:41 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सोने के बढ़ते आयात में कमी लाने के सरकार के पास उपाय सीमित होते जा रहे हैं। शुल्क न बढ़ा पाने की मजबूरी में सरकार के पास आयात को प्रोत्साहित करने वाली स्कीमों को बंद करने के अलावा ठोस विकल्प नहीं बचे हैं। लिहाजा, फिलहाल सरकार की तरफ से सोने का आयात सीमित करने के लिए कोई असाधारण कदम उठाए जाने की संभावना नहीं है।

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बीते दिनों सोने के तेजी से बढ़ रहे आयात को लेकर वित्त मंत्रालय में गहन विचार विमर्श हुआ। इसमें रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। बैठक के बाद पाया गया कि अब सरकार के पास सोने के आयात की रोकथाम के गिने चुने उपाय ही बचे हैं। सरकार के पास आयात शुल्क बढ़ाने का रास्ता तो है, लेकिन उसके लिए सरकार को संसद से मंजूरी लेनी होगी। ऐसे में तय हुआ कि आवश्यकता पड़ने पर सोने के आयात को प्रोत्साहन देने वाली स्कीमों की पहचान कर उन्हें कम किया जाए।

वर्तमान में सोने पर आयात शुल्क 10 फीसद है। आयात शुल्क का यह पीक रेट यानी अधिकतम दर है। सरकार को अगर इसमें वृद्धि करनी है तो उसके लिए संसद से मंजूरी लेनी होगी। सत्र नहीं होने की स्थिति में सरकार अध्यादेश का सहारा ले सकती है। वैसे, अभी सरकार इस तरह के विकल्प पर विचार नहीं कर रही है क्योंकि सोने का आयात अभी सरकार के खजाने के लिए चिंताजनक स्थितियां पैदा नहीं कर रहा है।

सूत्रों के मुताबिक अक्टूबर में सोने का आयात 4.17 अरब डॉलर पर पहुंचने की वजह बाजार में मची घबराहट का नतीजा है। बाजार मान रहा था कि सरकार सोने के आयात पर प्रतिबंध लगा सकती है। इसी हड़बड़ी में अक्टूबर का आयात इस स्तर तक जा पहुंचा। बाजार की इसी आशंका को दूर करने के लिए हाल में सरकार ने सोने के आयात पर अंकुश लगाने वाले 80:20 नियम को हटा दिया। सरकार अभी इसके चलते चालू खाते के घाटे पर बहुत अधिक असर नहीं देख रही है। वित्त मंत्रालय का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2014-15 में चालू खाते का घाटा जीडीपी के 1.4 फीसद के आसपास रखा जा सकेगा।

वित्त मंत्रालय में सोने के आयात को लेकर एक अन्य राय भी है। चूंकि सोने का यह आयात वैधानिक रास्ते से हो रहा है लिहाजा इस आयात पर सरकार को राजस्व भी मिल रहा है। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.1 फीसद के स्तर पर रखने के लिए आवश्यक है सरकार का राजस्व पक्ष मजबूत रहे। ऐसे में एक राय यह भी बन रही है कि अगर चालू खाते का घाटा सीमा से अधिक न बढ़े तो आयात प्रतिबंधों के उपायों को अभी टाला भी जा सकता है।

चालू वित्त वर्ष में सोने का आयात

(अरब डालर में)

अक्टूबर 4.17

सितंबर 3.75

अगस्त 2.03

जुलाई 1.81

जून 3.12

मई 2.19

अप्रैल 1.75

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