नई सरकार के भरोसे चिदंबरम के फैसले
वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता में सरकारी बैंकों के प्रमुखों की मंगलवार को यहां हुई बैठक में यह साफ हो गया कि वित्त मंत्री बैंकों को बेहद खराब हालात में छोड़ कर जा रहे हैं। फंड की भयंकर समस्या से जूझ रहे इन बैंकों की हालात को सुधारने के लिए चिदंबरम ने कुछ फैसले तो कर लिए, लेकिन इन्हें लागू करने की जिम्मेदारी अगली सरकार की होगी। इसमें एक फैसला यह भी है कि बैंक अपनी संपत्तियों [जमीन, भवन वगैरह] के वाणिज्यिक उपयोग के लिए एक विशेष कंपनी गठित करेंगे।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। वित्ता मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता में सरकारी बैंकों के प्रमुखों की मंगलवार को यहां हुई बैठक में यह साफ हो गया कि वित्ता मंत्री बैंकों को बेहद खराब हालात में छोड़ कर जा रहे हैं। फंड की भयंकर समस्या से जूझ रहे इन बैंकों की हालात को सुधारने के लिए चिदंबरम ने कुछ फैसले तो कर लिए, लेकिन इन्हें लागू करने की जिम्मेदारी अगली सरकार की होगी। इसमें एक फैसला यह भी है कि बैंक अपनी संपत्तिायों [जमीन, भवन वगैरह] के वाणिज्यिक उपयोग के लिए एक विशेष कंपनी गठित करेंगे।
बैंकों व वित्ताीय संस्थानों के प्रमुखों के साथ लगभग चार घंटे तक चली बैठक के बाद वित्ताीय सेवा सचिव जीएस संधु ने बताया कि बैंकों को अतिरिक्त फंड जुटाने को लेकर हाल में जो फैसले किए गए हैं, उन्हें नई सरकार की मंजूरियों के बाद ही लागू किया जाएगा। एक निर्णय यह किया गया है कि सभी सरकारी बैंक अपने भवन व जमीन के प्रबंधन के लिए एक विशेष कंपनी गठित करेंगे। बैंक की सारी संपत्तिायां इस नई कंपनी को सौंप दी जाएंगी। यह कंपनी इसे किराये पर या लीज पर देकर या किसी अन्य तरीके से उपयोग कर पैसा जुटाएगी। इसी तरह से जिन बैंकों के पास सब्सिडियरी कंपनियां होती हैं, उनके लिए अलग से एक होल्डिंग कंपनी बनाने का प्रस्ताव भी पारित हो गया है। इस पर रिजर्व बैंक की मंजूरी भी ले ली गई है। अब पूंजी बाजार नियामक सेबी और बीमा नियामक इरडा की मंजूरी का इंतजार है। लेकिन इन फैसलों को अब नई सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद ही लागू किया जाएगा।
संधु ने बताया कि बैठक में इस पर सहमति बनी कि जानबूझ कर कर्ज नहीं लौटाने वाले ग्राहकों के खिलाफ बैंक सख्त से सख्त कदम उठाएंगे। खास तौर पर कर्ज नहीं चुकाने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बैंकों को कहा गया है कि वे इस श्रेणी की कंपनियों के प्रबंधन को बदलने तक का फैसला कर सकते हैं। वैसे जनवरी-मार्च, 2014 के दौरान सरकारी बैंकों में फंसे कर्जे की समस्या थोड़ी काबू में तो आई है, लेकिन अभी यह काफी ज्यादा है। समय पर कर्ज वूसली नहीं हो पाने की वजह से बैंको को 90,0000 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान अपने मुनाफे से करना पड़ा है। इस वजह से ही बैंको को फंड की दिक्कत हो रही है।
प्रेस से बच निकले वित्ता मंत्री
नई दिल्ली। अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में मीडिया से बात करने का कोई मौका नहीं छोड़ने वाले चिदंबरम मंगलवार को मीडिया से बचकर निकल गए। बैंक प्रमुखों के साथ होने वाली हर बैठक के बाद चिदंबरम स्वयं ही मीडिया से मुखातिब होते रहे हैं। लेकिन आज की बैठक समाप्ति के बाद वे चुपके से निकल गए। माना जा रहा है कि एक्जिट पोल में कांग्रेस को बुरी तरह से पराजित होने की बात सामने आने की वजह से ही चिदंबरम मीडिया से मुखातिब नहीं हुए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।