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रिफंड ने बढ़ाया राजकोषीय घाटा

चालू वित्त वर्ष में आयकर रिफंड में वृद्धि के चलते राजकोषीय घाटे पर दबाव बढ़ गया है। हाल यह है कि चालू वित्त वर्ष 2014-15 के लिए राजकोषीय घाटा 5.31 लाख करोड़ रुपये तय हुआ था। लेकिन अप्रैल से सितंबर तक पहली छमाही में ही राजकोषीय घाटे का आंकड़ा 4.38

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 10:05 PM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 10:13 PM (IST)
रिफंड ने बढ़ाया राजकोषीय घाटा

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। चालू वित्त वर्ष में आयकर रिफंड में वृद्धि के चलते राजकोषीय घाटे पर दबाव बढ़ गया है। हाल यह है कि चालू वित्त वर्ष 2014-15 के लिए राजकोषीय घाटा 5.31 लाख करोड़ रुपये तय हुआ था। लेकिन अप्रैल से सितंबर तक पहली छमाही में ही राजकोषीय घाटे का आंकड़ा 4.38 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को छू गया है। यह बजट अनुमान का 82.6 प्रतिशत है। पिछले वित्त वर्ष में समान अवधि में राजकोषीय घाटा 76 प्रतिशत तक पहुंचा था।

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राजकोषीय घाटे के आंकड़े पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अधिक टैक्स रिफंड राजकोषीय घाटे के आंकड़ों में दिख रहा है। इस साल करीब 1.20 लाख करोड़ रुपये के टैक्स रिफंड लंबित थे। आयकर विभाग के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से 20 अक्टूबर के बीच 80,850 करोड़ रुपये के रिफंड जारी हो चुके हैं। यही वजह है कि पहली छमाही में राजकोषीय घाटा अधिक रहा है। बहरहाल सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए एक दिन पहले ही शाहखर्ची रोकने के लिए उपायों का एलान किया है। माना जा रहा है कि इन उपायों से सरकारी खजाने को लगभग 40 हजार करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।

राजकोषीय घाटे का मतलब होता है सरकारी व्यय और राजस्व के बीच का अंतर। पूरे वित्त वर्ष 2014-15 में सरकार के कुल खर्च और राजस्व के बीच 5.31 लाख करोड़ रुपये का अंतर बजट में तय हुआ था। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.1 प्रतिशत के बराबर है।

रिफंड के चलते राजस्व हानि के मद्देनजर वित्त मंत्री का कहना है कि अप्रत्यक्ष करों का लक्ष्य हासिल करना चुनौती होगा। प्रत्यक्ष करों का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। सरकार चालू वित्त वर्ष के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश करेगी। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 7.36 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष करों के माध्यम से जुटाने का लक्ष्य रखा है। अप्रत्यक्ष करों से 6.24 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है।

राजकोषीय घाटा बढ़ने की एक वजह पहली छमाही में सरकार का गैर कर राजस्व कम होना भी है। चालू वर्ष में सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश के जरिये 43,425 करोड़ रुपये तथा बाकी बची हिस्सेदारी को बेचकर 15,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है। विनिवेश के माध्यम से दूसरी छमाही में ही आय प्राप्त हो सकेगी।

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