रुपये और प्याज की 'दोस्ती', एक रुला रहा तो दूसरा आंसू निकाल रहा
सरकार और लोगों को एक साथ रुलाने का जिम्मा रुपये और प्याज ने अपने सिर ले लिया है। ये जितना रुला रहे हैं उतना ही हंसी के पात्र भी रहे हैं। आये दिन रुपये और प्याज को लेकर चुटकुले बाजी चल रही है।
नई दिल्ली। सरकार और लोगों को एक साथ रुलाने का जिम्मा रुपये और प्याज ने अपने सिर ले लिया है। ये जितना रुला रहे हैं उतना ही हंसी के पात्र भी रहे हैं। आये दिन रुपये और प्याज को लेकर चुटकुले बाजी चल रही है। 1 किलो प्याज 80 रुपये और 1 डॉलर के बदले रुपया 65। इन दोनों में ज्यादा अंतर बचा नहीं है। हालांकि, वास्तविकता यही है कि ये दोनों ही सरकार और जनता के लिए चिंता का सबब बन चुके हैं।
देश की राजधानी में प्याज 80 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। वहीं, मुंबई में इसकी कीमत 65 रुपये प्रति किलो है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि प्याज का 100 का आंकड़ा भी पार कर जाएगा। कभी सरकार इस पर बयान देती है तो कभी लोग इसे लेकर सड़कों पर उतर आते हैं। वहीं, अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपया 65 के आसपास घूम रहा है। लोगों का कहना है कि यह 70 का स्तर भी पार कर जाएगा। सरकार ने रुपये और प्याज की मुसीबत से बाहर निकलने के लिए जाने कितने ही जतन किये, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
तमाम कोशिशों के बावजूद रुपये को धाराशायी होने से बचाने में नाकाम रही केंद्र सरकार अब अन्य पैतरे भी अपना सकती है। इसके तहत अगर जरूरत पड़ी तो रिजर्व बैंक के पास रखे हुए सोने को गिरवी रखने की संभावना को भी आजमाया जा सकता है। कोशिश यह है कि किसी भी तरीके से अगले कुछ हफ्तों के भीतर देश में 12 से 14 अरब डॉलर का इंतजाम किया जा सके, ताकि डूबते रुपये को सहारा मिल सके।
सरकार को लोगों को सस्ता प्याज उपलब्ध कराने से ज्यादा विपक्ष के तानों से बचने की चिंता थी। इसी का नतीजा है कि सरकार ने राजधानी दिल्ली के 600 जगहों पर 150 सरकारी मोबाइल वैन और स्टॉल्स में सस्ते दरों में प्याज बेचे। हालांकि, चुनाव से पहले बढ़ती महंगाई से डरी शीला सरकार के इस कदम को विपक्ष चुनावी पैंतरा करार दे रहे हैं।