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    पांच लाख से ज्यादा आय पर ई-रिटर्न जरूरी

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    Updated: Sun, 09 Feb 2014 11:53 AM (IST)

    अगर आपको वेतन, निवेश, बिजनेस या मकान किराये आदि किसी भी रूप में हुई आमदनी पांच लाख रुपये से ज्यादा है तो आपके लिए ऑनलाइन टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य है। साल 2013-14 के आइटीआर दाखिल करने के नियमों में कुछ परिवर्तन किए गए हैं। सबसे बड़ा बदलाव है 5 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना आमदनी वालों के लिए ई-रिटर्न को अ

    वाराणसी। अगर आपको वेतन, निवेश, बिजनेस या मकान किराये आदि किसी भी रूप में हुई आमदनी पांच लाख रुपये से ज्यादा है तो आपके लिए ऑनलाइन टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य है।

    साल 2013-14 के आइटीआर दाखिल करने के नियमों में कुछ परिवर्तन किए गए हैं। सबसे बड़ा बदलाव है 5 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना आमदनी वालों के लिए ई-रिटर्न को अनिवार्य बना देना।

    पढ़ें : ई-रिटर्न के लिए हो जाएं तैयार

    एक फीसद ब्याज प्रतिमाह

    आयकरदाता ने वित्तीय वर्ष 2012-13 की आयकर विवरणी अब तक नहीं दाखिल किया है तो उसे बकाया आयकर पर 1 प्रतिशत ब्याज प्रतिमाह देना होगा। चार्टर्ड एकाउंटेंट आरपी पांडेय के अनुसार ब्याज अगस्त 2013 से जिस माह आप विवरणी दाखिल कर रहे है, उस माह तक देय होगा। ब्याज सहित विवरणी दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2014 है। मार्च के बाद विवरणी दाखिल करने पर 5 हजार रुपये अर्थ दंड का प्रावधान है।

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    पढ़ें : ई-रिटर्न की कॉपी जल्दी भेजें

    कैसे भरें ई-रिटर्न

    ई-रिटर्न के तीन विकल्प हैं। फार्म डाउनलोड कर उसे भरना होगा। फिर उसके एक्सएमएल फॉरमेट को अपलोड करें। दूसरे विकल्प में सीधे इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर जाकर रिटर्न भरें। चार्टर्ड एकाउंटेंट जय प्रद्धवानी के अनुसार ई-रिटर्न इंटरमीडियरी की मदद से भर सकते हैं। अगर आप डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो चार्टर्ड एकाउंटेंट की मदद जरूर लें। ई-फाइलिंग आवेदन पर इसके लिए पहले पंजीकरण कराना जरूरी है। आयकर विभाग की वेबसाइट पर आपको रिटर्न भरने संबंधी सॉफ्टवेयर भी आसानी से उपलब्ध हैं। विभाग की आधिकारिक वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडबल्यूइनकमटैक्सइंडिया डॉट जीओवी डॉट इन।

    इनका रखें खास ख्याल

    टैक्स जमा करते वक्त चालान में कर निर्धारण वर्ष का उल्लेख करना न भूलें। गलत कर निर्धारण वर्ष भरने से आपको इसका फायदा नहीं मिलेगा।

    ई-फाइलिंग के फायदे

    -किसी भी वक्त कहीं से भी आइटीआर भरने की सुविधा। विभाग के चक्कर लगाने से छुटकारा।

    -आइटी सिस्टम से रिफंड प्रक्रिया में आसानी। रिफंड बैंकर सिस्टम की शुरुआत होने के बाद रिटर्न सीधे बैंक अकाउंट में।