एलआर जारी कर माल्या की विदेशी संपत्तियों का पता लगाएगा ईडी
विदेशों में विजय माल्या की संपत्तियों का पता लगाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ब्रिटेन व दक्षिण अफ्रीका समेत चुनिंदा देशों को लेटर रोगेटरी जारी करने की तैयारी में जुटा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेशों में विजय माल्या की संपत्तियों का पता लगाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ब्रिटेन व दक्षिण अफ्रीका समेत चुनिंदा देशों को लेटर रोगेटरी जारी करने की तैयारी में जुटा है।
ईडी के सूत्रों के अनुसार एजेंसी को कुछ देशों में विजय माल्या की कंपनी यूनाइटेड ब्रुअरीज (यूबी) की संपत्ति होने की जानकारी मिली है। इनमें ब्रिटेन व दक्षिण अफ्रीका के अलावा अमेरिका, हांगकांग तथा फ्रांस के नाम शामिल हैं। लिहाजा ईडी इन देशों की प्रवर्तन एजेंसियों को लेटर रोगेटरी (एलआर) जारी कर सूचना की सच्चाई जानना चाहती है। इसके लिए एजेंसी सक्षम अदालत का दरवाजा खटखटाएगी।
इस बीच ईडी ने रिजर्व बैंक (आरबीआइ) को भी खत लिखा है। एजेंसी 2010 में लिए गए नीतिगत निर्णय की वजह जानना चाहती है। नीतिगत फैसले के तहत कंपनियों के कर्ज पुनर्गठन की योजना का दायरा बढ़ाकर उसमें विमानन क्षेत्र को भी शामिल किया गया था। इस नीति का किंगफिशर समेत कुछ एयरलाइनों ने फायदा उठाया था।
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सूत्रों के मुताबिक, चूंकि बैंकों ने पहले ही माल्या की भारतीय संपत्तियों पर दावा कर रखा है लिहाजा मनी लांड्रिंग रोधी कानून के तहत यहां उसके पास कुर्की योग्य ज्यादा संपत्ति नहीं है। ऐसे में उसकी विदेशी संपत्तियों की कुर्की की जा सकती है।
ईडी माल्या के खिलाफ कई मामलों में जांच कर रहा है। इनमें आइडीबीआइ बैंक से 900 करोड़ का कर्ज लेने तथा उसमें से कथित रूप से 300 करोड़ रुपये विदेशी कंपनियों में डायवर्ट कर धोखाधड़ी करने के मामले शामिल हैं। इस मामले में भी ईडी को माल्या की विदेशी संपत्तियों की सूचना चाहिए।
अदालत से एलआर जारी करने की इजाजत मिलने के बाद एजेंसी विदेशों में अपनी समकक्ष एजेंसियों से तहकीकात में मदद मांगेगी। अब तक ईडी किंगफिशर एयरलाइंस तथा आइडीबीआइ बैंक के अधिकारियों से पूछताछ कर चुकी है। शनिवार को उसने माल्या को नया सम्मन जारी किया था। इसमें माल्या से 9 अप्रैल तक एजेंसी के समक्ष पेश होने को कहा गया है।
ईडी ने सबसे पहले माल्या को 18 मार्च तक अपने मुंबई दफ्तर में बुलाया था। लेकिन कुछ और समय मांगने पर माल्या को 2 अप्रैल को पेश होने को कहा गया था। समझा जाता है कि माल्या ने सूचित किया है कि बैंक कर्ज से जुड़े उसके मामले फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं। वह अपने कारपोरेट व कानूनी सलाहकारों की मदद से कर्ज का निपटारा करने की कोशिश कर रहा है। लिहाजा एजेंसी के सम्मुख पेश होने के लिए उसे कुछ और समय दिया जाना चाहिए।
माल्या तथा किंगफिशर एयरलांइस ने 30 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में प्रस्ताव दिया था। इसमें उसने बैंकों से लिए 6903 करोड़ रुपये के कर्ज में से 4000 करोड़ रुपये का भुगतान इस साल सितंबर तक करने की इच्छा प्रकट की थी। समझा जाता है कि 2 मार्च को देश छोडऩे के बाद से माल्या ब्रिटेन में हैं। सीबीआइ की ओर से दर्ज एफआइआर के आधार पर ईडी ने माल्या के खिलाफ मनी लांड्रिंग रोधी कानून के तहत केस दर्ज किया है।