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    कर्ज सस्ता करेगा रिजर्व बैंक का नया फॉर्मूला

    By Test1 Test1Edited By:
    Updated: Sat, 19 Dec 2015 10:05 AM (IST)

    रिजर्व बैंक (आरबीआइ) गवर्नर रघुराम राजन ने कई बार चेताया कि बैंक रेपो रेट में कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को दें। इसके बावजूद बैंकों के कान पर जूं न ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (आरबीआइ) गवर्नर रघुराम राजन ने कई बार चेताया कि बैंक रेपो रेट में कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को दें। इसके बावजूद बैंकों के कान पर जूं नहीं रेंगी। आरबीआइ ने कर्ज की दरें तय करने का नया फॉर्मूला पेश कर बैंकों के सामने कोई रास्ता नहीं छोड़ा है। कर्ज की ब्याज दरों को लेकर बैंक अब न तो ग्राहकों के साथ और न ही आरबीआइ के साथ आंख मिचौली कर सकेंगे। बेस रेट तय करने का नया फॉर्मूला अप्रैल, 2016 से लागू होगा। इसके बाद कर्ज की दरें नीचे आएंगी।

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    आरबीआइ के नए फॉर्मूले में चालू जमा, बचत खाता योजना, सभी स्थायी जमा योजनाएं, विदेशी मुद्रा में जमा स्कीमें, रुपये व विदेशी मुद्राओं में लिए गए कर्ज की देनदारी और नेटवर्थ पर रिटर्न की दर को मिलाया जाएगा। जानकारों की मानें तो नया फॉर्मूला लागू होने के बाद कर्ज की मौजूदा दरों में निश्चित तौर पर गिरावट होगी। राजन ने इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए कहा था कि पिछले एक वर्ष में रेपो रेट में 1.25 फीसद की कटौती के बावजूद बैंकों ने ग्राहकों को महज 0.60 फीसद का फायदा दिया है। रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक आरबीआइ से कम अवधि का कर्ज लेते हैं।

    जानकारों का मानना है कि केंद्रीय बैंक का नया फॉर्मूला मौजूदा तौर तरीके से काफी पारदर्शी होगा। आरबीआइ ने यह भी पुख्ता कर दिया है कि बैंक एक निश्चित अंतराल पर ब्याज दरों को तय करने से जुड़ीं सारी सूचनाएं सार्वजनिक करें। इसका नतीजा यह होगा कि जनता को पता चल सकेगा कि उससे ज्यादा ब्याज नहीं लिया जा रहा है।

    केंद्रीय बैंक ने यह साफ कर दिया है कि बैंक जिस दर पर फंड जुटाते हैं (जमा योजना वगैरह के जरिये) उसकी मार्जिनल लागत के आधार पर ही कर्ज की दर तय की जाएगी। हर महीने बैंक जिस दर पर जमा राशि स्वीकार करते हैं, उसके आधार पर ही वह बेस रेट (बैंक इससे कम दर पर कर्ज नहीं दे सकते हैं) तय करेंगे। इस तरह से बैंकों की कर्ज दरें भी हर महीने बदला करेंगी। मौजूदा ग्राहकों को विकल्प मिलेगा कि वह नए फॉर्मूले के तहत जो ब्याज दर तय हो, उसमें अपने कर्ज को शिफ्ट कर लें। इससे वे भी ब्याज दरों में कटौती का फायदा उठा सकेंगे।

    राहत का सूत्र-
    -ब्याज दर तय करने में नहीं चलेगी बैंकों की आंख मिचौली
    -कर्ज दर तय करने का नया फॉर्मूला अप्रैल, 2016 से होगा लागू
    -बैंकों को ब्याज दरों से संबंधित नियम बनाने होंगे पारदर्शी
    -आरबीआइ की कटौती का ग्राहकों को मिलेगा पूरा फायदा
    -मौजूदा ग्राहक भी नए फॉर्मूले से तय दर में कर सकेंगे शिफ्ट

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