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    डॉट ने की गलती, मुकेश अंबानी को हुआ फायदा

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    Updated: Tue, 21 Jan 2014 09:58 AM (IST)

    नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो को मिले बीडब्ल्यूए स्पेक्ट्रम के लिए दूरसंचार विभाग (डॉट) को लताड़ लगा ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो को मिले बीडब्ल्यूए स्पेक्ट्रम के लिए दूरसंचार विभाग (डॉट) को लताड़ लगाई है। सरकारी ऑडिटर ने कहा है कि डॉट की गलत नीतियों की वजह से ही यह कंपनी देशभर में ब्रॉडबैंड सेवा देने के लायक बन गई। इससे सरकारी खजाने को भी भारी नुकसान पहुंचा है।

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    डॉट को भेजे मसौदा रिपोर्ट में कैग ने पूछा है कि आखिर एक बिल्कुल नई और छोटी कंपनी को देशभर के सभी सर्किलों के लिए ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस (बीडब्ल्यूए) स्पेक्ट्रम कैसे मिल गया। नीलामी में केवल एक कंपनी इंफोटेल ब्रॉडबैंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड 12,750 करोड़ रुपये में सभी सर्किलों के लिए यह स्पेक्ट्रम हासिल करने में कामयाब रही। स्पेक्ट्रम मिलने के कुछ ही दिनों बाद जून, 2010 में रिलायंस जियो ने इस कंपनी का अधिग्रहण कर लिया। इस तरह बिना नीलामी में शामिल हुए ही उसे पूरे देश में स्पेक्ट्रम हासिल हो गए। यह नीलामी पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए. राजा के कार्यकाल में हुई थी।

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    कैग ने डॉट से पूछा है कि नीलामी के लिए बनी नीतियों में विजेता कंपनियों के लिए लॉक इन पीरियड क्यों नहीं रखा गया। साथ ही नीलामी में हिस्सा लेने के लिए तय किए गए मानदंड में भी कमी थी। इसलिए इंफोटेल के प्रमोटरों ने नीलामी के तुरंत बाद 4,800 करोड़ रुपये का फायदा कमाया। यह सीधा-सीधा सरकारी खजाने को नुकसान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्पेक्ट्रम नीलामी के बाद प्रमोटरों को तीन साल तक अपनी हिस्सेदारी बेचने की अनुमति नहीं दी जाती। ऐसा नियम ब्रॉडबैंड नीलामी के लिए क्यों नहीं रखा गया।

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    नियमों में गड़बड़ियों का फायदा एक ऐसी कंपनी ने उठाया, जिसने नीलामी में हिस्सा ही नहीं लिया। इंफोटेल स्पेक्ट्रम मिलने के बाद प्राइवेट लिमिटेड से पब्लिक लिमिटेड कंपनी आइबीएसएल बन गई। कैग ने इस पर भी सवाल उठाए हैं कि इंफोटेल ने डॉट को जो 253 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी दी थी, यह उसके टर्नओवर से 1,500 गुना ज्यादा थी। इसके बावजूद डॉट ने यह पता लगाने की कोशिश नहीं की कि नीलामी के लिए कंपनी को पैसा कहां से मिल रहा है। इसके अलावा नीलामी प्रक्त्रिया खत्म होने के कुछ ही घंटों पहले कंपनी ने अपनी शेयर पूंजी तीन करोड़ रुपये से बढ़ाकर 6,000 करोड़ रुपये कैसे कर ली। नीलामी प्रक्त्रिया जैसे ही पूरी हुई उसी दिन आइबीएसएल ने 94.96 फीसद शेयर रिलायंस जियो को दे दिए। रिलायंस जियो ने इन आरोपों पर कहा कि शेयरधारकों को इससे कोई फायदा नहीं हुआ। हमें नई हिस्सेदारी जारी की गई थी। इसलिए भारी फायदे का कोई सवाल पैदा नहीं होता। कंपनी ने कहा कि टेलीकॉम नियामक ट्राई ने डॉट को सुझाव दिया था कि ऐसी नीतियां बनाई जाएं, जिससे कि बड़े और छोटे इंटरनेट सेवा प्रदाता भी ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम हासिल कर सकें।

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