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मिलेगी उद्योगों को रफ्तार

विकास की अपेक्षित रफ्तार को पाने की दिशा में सरकार ने उद्योगों को प्रोत्साहित करने संबंधी कदम उठाना शुरू कर दिया है। तकरीबन दस साल बाद सरकार ने पहली बार कारपोरेट टैक्स में कमी करने का ऐलान किया है। इसे मौजूदा 30 फीसद से घटाकर 25 फीसद किया गया है।

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2015 06:20 AM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2015 06:25 AM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विकास की अपेक्षित रफ्तार को पाने की दिशा में सरकार ने उद्योगों को प्रोत्साहित करने संबंधी कदम उठाना शुरू कर दिया है। तकरीबन दस साल बाद सरकार ने पहली बार कारपोरेट टैक्स में कमी करने का ऐलान किया है। इसे मौजूदा 30 फीसद से घटाकर 25 फीसद किया गया है। यह कमी अगले चार वर्षों में की जाएगी। अलबत्ता वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट कर दिया है कि उद्योगों को मिलने वाली कुछ दूसरी रियायतों और प्रोत्साहनों को वापस लिया जाएगा।

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घरेलू और विदेशी निवेशकों की तरफ से लगातार देश की कर नीति में निरंतरता को लेकर मिल रही शिकायतों का भी वित्त मंत्री ने अपने बजट में ध्यान दिया है। यही वजह है कि अपने बजट भाषण में ही वित्त मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि दरों में कमी अगले चार साल में होगी। वित्त मंत्री के मुताबिक अपने देश में कारपोरेट टैक्स की मौजूदा दर दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले अधिक है। इसके चलते घरेलू उद्योग प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाते हैैं। उद्योगों को कारपोरेट टैक्स की दर और रियायतों, प्रोत्साहनों की वापसी की तैयारी करने का वक्त मिले, इसलिए ये बदलाव अगले वित्त वर्ष से प्रभावी होंगे।

ऊंची दर से नहीं हो रहा था फायदा: कारपोरेट टैक्स की दर घटाने की एक वजह यह भी रही है क्योंकि 30 फीसद की दर के बावजूद रियायतों और प्रोत्साहनों के चलते प्रभावी तौर पर 23 फीसद की दर से ही राजस्व की प्राप्ति हो रही है। ऊंची दर की वजह से न तो घरेलू उद्योग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी हो रहे थे बल्कि रियायतों के चलते सरकार को भी नुकसान हो रहा था।

चालू वित्त वर्ष में कारपोरेट टैक्स से सरकार को 426079 करोड़ रुपये मिले हैैं। जबकि 2015-16 में वित्त मंत्री ने इसके लिए 470628 करोड़ रुपये के संग्र्रह का अनुमान लगाया है। इससे पहले 2005 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कारपोरेट टैक्स की दर को 35 फीसद से घटाकर 30 फीसद किया था।

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