सर्च करे
Home

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सिंचाई के बगैर लहलहाएंगी बंपर पैदावार वाली फसलें

    By Edited By:
    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    आधुनिक तकनीकी के बल पर दुनिया के ज्यादातर देशों ने नई हरित क्रांति का बिगुल फूंक दिया है। कृषि वैज्ञानिकों की मौन लड़ाई खेती पर आने वाली आपदाओं को जीत ...और पढ़ें

    Hero Image

    सेंट लुईस, [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। आधुनिक तकनीकी के बल पर दुनिया के ज्यादातर देशों ने नई हरित क्रांति का बिगुल फूंक दिया है। कृषि वैज्ञानिकों की मौन लड़ाई खेती पर आने वाली आपदाओं को जीत रही है। नतीजतन, बिना सिंचाई के ही कीटमुक्त पौधों के जरिये फसलों की उत्पादकता को कई गुना तक बढ़ाना संभव हो गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारत जैसे देश की खेती के लिए बायो टेक्नोलॉजी बेहद मुफीद साबित होगी, जहां दो तिहाई से अधिक खेती का रकबा असिंचित है। अमेरिकी बायोटेक कंपनियां भारत में संभावनाएं तलाशने के साथ घुसने की तैयारी में है। लेकिन राजनीतिक वजहों से उन्हें मौका नहीं लग पा रहा है।

    विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में होने वाली बारिश, वहां की मिट्टी और हवा की नमी को ध्यान में रखकर फसलों और उनके बीजों की प्रजातियां तैयार की जाएंगी। इससे उत्पादकता कई गुना तक बढ़ाई जा सकती है। नतीजतन सिंचाई करने से फसल पर आने वाली लागत से मुक्ति मिलेगी और उत्पादकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जमीन से नमी सोखने वाले खर पतवारों का प्रबंधन भी इसी तकनीक का एक हिस्सा है। बुवाई से लेकर फसल तैयार होने तक की विभिन्न कड़ियों को पुख्ता बनाया गया है। इससे खेती की लागत नहीं बढ़ पाएगी। साथ ही, उत्पादन में कई गुना की वृद्धि संभव है। बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों के लोगों की इससे तकदीर बदल सकती है।

    खेती की आधुनिक तकनीकों में जीनोम सीक्वेंसिंग, जर्म प्लाज्मा और जीन के हेरफेर से तैयार हाइब्रिड बीजों से इन आपदाओं से मुकाबला करना आसान हुआ है। सिंचाई की सुविधा के बगैर भी बंपर पैदावार प्राप्त करना और क्षेत्रीय भौगोलिक जलवायु के हिसाब से फसलों के बीज तैयार करना आसान हो गया है। इनमें न रोग लगेगा और न ही कीड़े-मकोड़ों का प्रकोप होगा। स्थानीय बारिश और मिट्टी की नमी से ही फसल तैयार हो जाएगी।

    दुनिया की कई बड़ी बायोटेक कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं। इनमें अमेरिकी कंपनी मोन्सैंटो सबसे आगे है। इसे अमेरिकी सरकार से सालाना अठारह अरब डॉलर की वित्तीय मदद मिलती है। कंपनी बागवानी उत्पाद, खाद्यान्न फसलों की उन्नत प्रजातियां विकसित करने में जुटी हुई है। सेंट लुईस स्थित प्रयोगशाला में असिंचित क्षेत्र में गेहूं की उन्नत खेती वाली प्रजाति विकसित की जा रही है, जो रस्ट रेसिस्टेंट होगी। कंपनी के प्रेसीडेंट व चीफ कॉमर्शियल आफिसर ब्रेट बेजमैन ने कहा कि विकासशील देश होनहार व कुशल मानव संसाधनों से संपन्न हैं। वहां जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और खाद्यान्न की मांग व आपूर्ति के बढ़ते अंतर के मद्देनजर अनुसंधान के लिए सार्वजनिक क्षेत्रों में निवेश की सख्त जरूरत है।

    बिजनेस से जुड़ी हर जरूरी खबर, मार्केट अपडेट और पर्सनल फाइनेंस टिप्स के लिए फॉलो करें