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    पैकेज से सरकारी बैंकों को दो अरब का चूना

    By Edited By:
    Updated: Wed, 08 Feb 2012 08:26 PM (IST)

    खस्ताहाल सरकारी एविएशन कंपनी एयर इंडिया की वित्तीय स्थिति सुधारने के पैकेज को सरकारी बैंक अधूरा मान रहे हैं। इन बैंकों का कहना है कि कंपनी पर उनके बकाए की वापसी के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है। यदि एयर इंडिया पर लगभग 11,000 करोड़ रुपये के अल्पकालिक कर्ज को लंबी अवधि के लोन में तब्दील नहीं किया गया तो बैंकों का एनपीए [फंसा कर्ज] बढ़ जाएगा। इससे उन्हें दो अरब रुपये का चूना लग सकता है।

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। खस्ताहाल सरकारी एविएशन कंपनी एयर इंडिया की वित्तीय स्थिति सुधारने के पैकेज को सरकारी बैंक अधूरा मान रहे हैं। इन बैंकों का कहना है कि कंपनी पर उनके बकाए की वापसी के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है। यदि एयर इंडिया पर लगभग 11,000 करोड़ रुपये के अल्पकालिक कर्ज को लंबी अवधि के लोन में तब्दील नहीं किया गया तो बैंकों का एनपीए [फंसा कर्ज] बढ़ जाएगा। इससे उन्हें दो अरब रुपये का चूना लग सकता है। बैंक अपनी इन चिंताओं से शीघ्र ही वित्त मंत्रालय को अवगत कराएंगे।

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    बैंकों के लिए बढि़या बात यह है कि इस पैकेज में उन्हें अपने कर्ज की राशि को माफ करने के लिए नहीं कहा गया है। वैसे, उन्हें ज्यादा प्रावधान [प्रॉविजनिंग] करने होंगे। साथ ही उनकी संभावित आय में भी कमी होगी। इस वजह से एयर इंडिया को कर्ज मुहैया कराने वाले 14 बैंकों के कंसोर्टियम को संयुक्त तौर पर दो हजार करोड़ रुपये का झटका लग सकता है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बैंकों ने जब एयर इंडिया को कर्ज दिया था, उसकी तुलना में अब कम ब्याज मिलेगा। साथ ही कर्ज अदायगी की अवधि बढ़ने से उन्हें ज्यादा राशि का समायोजन करना पड़ेगा।

    मंगलवार को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के समूह ने एयर इंडिया के वित्तीय पुनर्गठन पैकेज को मंजूरी दी थी। इसके तहत कंपनी को सरकारी गारंटीशुदा 7400 करोड़ रुपये के बांड जारी कर बाजार से पैसा जुटाने को कहा गया है। इन पर 8.5 से 9 फीसदी की दर से ब्याज की अदायगी होगी। इन बांडों को वित्तीय संस्थानों के बीच बेचा जाएगा। बहरहाल, सरकारी बैंकों को यह पैकेज बहुत नहीं सुहा रहा है। बैंक ऑफ इंडिया के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि एयर इंडिया के कर्ज के पुनर्गठन में और ज्यादा समझदारी बरतने की जरूरत थी। ऐसा करने पर फंसे कर्जे यानी एनपीए की स्थिति को ज्यादा से ज्यादा टाला जा सकता था। इस पैकेज के बावजूद ऐसा नहीं लगता कि एयर इंडिया की माली हालत इतनी जल्दी सुधरेगी कि अपने कर्ज की अदाएगी शुरू कर पाए।

    दरअसल, सरकारी एविएशन कंपनी पर कुल 67,520 करोड़ रुपये की देनदारियां हैं। इसमें 21200 करोड़ रुपये का कर्ज कार्यशील पूंजी के लिए दिया गया है। नए जहाज खरीदने को लिए गए 22 हजार करोड़ रुपये के कर्ज लंबी अवधि के हैं। इसके अलावा 11000 करोड़ रुपये के कर्ज छोटी अवधि के हैं। एयर इंडिया पर 4600 करोड़ रुपये का वेंडरों का बकाया भी है।

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