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यूरिया पर सब्सिडी में 4,800 करोड़ की कमी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नई यूरिया नीति 2015 को मंजूरी दे दी। इसका मकसद घरेलू यूरिया उत्पादन 20 लाख टन बढ़ाना और सालाना सब्सिडी बिल में 4,800 करोड़ रुपये की कमी लाना है। यह नीति अगले चार वर्षों तक प्रभावी रहेगी।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 13 May 2015 08:29 PM (IST)Updated: Wed, 13 May 2015 09:18 PM (IST)

नई दिल्ली । केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नई यूरिया नीति 2015 को मंजूरी दे दी। इसका मकसद घरेलू यूरिया उत्पादन 20 लाख टन बढ़ाना और सालाना सब्सिडी बिल में 4,800 करोड़ रुपये की कमी लाना है। यह नीति अगले चार वर्षों तक प्रभावी रहेगी। देश में आमतौर पर यूरिया संकट रहता है। किसानों को समय पर यह खाद नहीं मिल पाती। नई नीति से किसानों को समय पर उसी मूल्य पर यूरिया मिलेगा। साथ ही, सरकारी खजाने पर वित्तीय बोझ भी कम आएगा।

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नीम कोटेड यूरिया 14 रुपये महंगा

यूरिया के खुदरा मूल्य में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। 50 किलो यूरिया का प्रति बोरी मूल्य 268 रुपये यथावत रहेगा। इसमें स्थानीय कर शामिल नहीं है। लेकिन किसानों को नीम कोटेड यूरिया के लिए प्रति बोरी 14 रुपये अतिरिक्त चुकाने होंगे।

80 लाख टन होता है आयात

नई नीति से 2,618 करोड़ रुपये की प्रत्यक्ष सब्सिडी बचेगी, जबकि 2,211 करोड़ रुपये की अप्रत्यक्ष सब्सिडी बचत होगी। इसके लिए ऊर्जा खपत और आयात के नियम बदले गए हैं। देश का यूरिया उत्पादन 220 लाख टन पर स्थिर है। मांग की पूर्ति के लिए 80 लाख टन का सालाना आयात करना पड़ता है। उर्वरक मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार नई नीति से किसान, उद्योग और सरकार तीनों को लाभ होगा।

यूरिया प्लांटों की ऊर्जा खपत घटेगी

सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के कारण देश के 30 यूरिया उत्पादक प्लांटों की आय में होने वाली कमी की भरपायी उनकी ऊर्जा खपत में कटौती कर की जाएगी। इससे इन प्लांटों का कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा। इसके पूर्व सरकार संयंत्रों की गैस खरीदी नीति को मंजूरी दे चुकी है। इससे सभी यूरिया उत्पादन इकाइयों को एक समान मूल्य पर गैस मिलेगी।

फसलों के लिए जरूरी है यूरिया

यूरिया फसलों की वृद्धि के लिए बेहद जरूरी है। इसके जरिये पौधों को बढ़वार के लिए जरूरी नाइट्रोजन मिलता है। देश में यूरिया पर सरकारी नियंत्रण है। यह 5,360 रुपये प्रति टन की रियायती दर पर किसानों को मिलती है। इसके अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) और उत्पादन लागत के बीच के अंतर की राशि केंद्र सरकार यूरिया उत्पादक कंपनियों को अदा करती है।

डीएपी पर सब्सिडी जस की तह

केंद्र सरकार ने डीएपी और एमओपी जैसे उर्वरकों पर सब्सिडी की दर बीते वित्त वर्ष के बराबर तय की है। इन दोनों पर प्रति टन क्रमश:12,350 रुपये और 9,300 रुपये की सब्सिडी मिलेगी। अप्रैल, 2010 में सरकार ने फॉस्फेटिक और पोटाश वाली खादों की कीमतों को नियंत्रणमुक्त कर दिया था। केंद्र सरकार घरेलू बाजार में इनकी कीमतें कम बनाए रखने के लिए अब एक स्थिर दर से न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी देती है।

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