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बच्चों को पढ़ाने का क्या है सही तरीका?

बच्चों की स्टडी व गतिविधियों से जुड़कर करिए हेल्प, जिससे बढ़े उनका आत्मविश्वास और विकसित हो पढ़ाई के प्रति रुचि...

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 20 Aug 2016 10:12 AM (IST)Updated: Fri, 26 Aug 2016 11:25 AM (IST)

आजकल छोटी कक्षाओं में भी सिलेबस बहुत ज्यादा है। होमवर्क का दबाव इतना है कि बच्चों के साथ ही पैरेंट्स को भी पढऩा पड़ता है। ऐसे में बच्चों को छोटी उम्र में ही पढऩे की आदत डाल दी जाए तो बच्चे और अभिभावक दोनों के लिए ही अच्छा रहेगा। इससे बच्चे न सिर्फ मेधावी होंगे बल्कि करियर के दबाव से होंगे मुक्त।

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स्टडी चार्ट बनाएं

महाराणा प्रताप एजूकेशन सेंटर शारदा नगर की प्रिंसिपल पुष्पलता सिंह कहती हैं, 'बच्चे को होमवर्क कराने की शुरुआत कर रही हैं तो सबसे पहले टाइमटेबल सुनिश्चित करें और रोज उसी समय पढ़ाने बैठें। स्कूल से वापस आने के बाद बच्चों का मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता। टीचर छोटे बच्चों को सिलेबस के हिसाब से कलर करना या एल्फाबेट लिखने जैसे काम होमवर्क में देते हैं।

तीन या चार में पढऩे वाले बच्चों के लिए पर्याप्त कॉपीवर्क दिया जाता है। ये वर्क भी उनके लिए काफी मुश्किल भरा होता है। जिनमें कई बार वे गलती भी करते हैं। ध्यान रहे कि ऐसे में आपको उन्हें डांटना नहीं, सिर्फ समझाना है। दिनभर भले ही आप दैनिक उलझनों में उलझी रहें पर होमवर्क कराते समय हल्के मूड में रहें और बच्चे को पूरा

वक्त दें।'

संयम से लें काम

शिक्षिका नूतन गुप्ता कहती हैं, 'अक्सर बच्चों को लगता है कि उनको होमवर्क करना पड़ता है और बड़े लोग मजे में रहते हैं। ऐसे में वे कई बार न पढऩे की जिद कर बैठते हैं। अच्छा रहेगा कि आप उन्हें समझाएं। बच्चे तो बच्चे हैं वे अपना धैर्य खो देते हैं लेकिन आप संयम बनाएं रखें। उन्हें समझाएं कि सिर्फ नोटबुक में कुछ लिख लेने या स्कूल का काम पूरा कर लेने को ही होमवर्क नहीं कहते। होमवर्क का मतलब होता है हर दिन घर में भी कुछ नया सीखा जाए।'

कूल रहे माहौल

एक पब्लिक स्कूल की शिक्षिका नीलम शर्मा बताती हैं, 'बच्चे को पढ़ाते समय कभी इस बात का दबाव न बनाएं कि यह कार्य अभी करना है या जरूर करना है। बेहतर रहेगा कि खेल-खेल में होमवर्क या कुछ नया सिखाने की कोशिश करें। ऐसे में उसमें पढऩे की रुचि विकसित होगी और वो कुछ ही दिन में खुद ही कहने लगेगा कि मुझे पढऩा है। जो विषय बच्चे को रुचिकर लगे उसे पहले पढ़ाएं, इससे वो बिना किसी दबाव के पढ़ेगा।'

टीवी म्यूजिक रहता है ऑफ

विकास नगर की ज्योति पांडेय बताती हैं, 'मैं जब बच्चों को पढ़ाने बैठती हूं तो टीवी और म्यूजिक सिस्टम ऑफ कर देती हूं। घर के सदस्य भी कोई ऐसा काम नहीं करते हैं, जिससे बच्चों का मन पढ़ाई से हटे। कई बार जब बच्चे पढ़ रहे होते हैं, वहीं घर के सदस्य म्यूजिक सिस्टम या टीवी ऑन रखते हैं। ऐसा कतई न करें। पढ़ते समय बच्चे को शांत माहौल दें जिससे उसका मन पढऩे में लगा रहे। यदि घर के अन्य सदस्य माहौल बिगाड़ेंगे तो उसका मन भी पढ़ाई में नहीं लगेगा।'

लालजी बाजपेयी

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