हिमाचल में विकास दर घटी, प्रति व्यक्ति आय बढ़ी
हिमाचल में प्रतिव्यक्ति आय बढ़ने के साथ साथ हर नागरिक अमीर तो हुआ लेकिन राज्य की विकास दर में गिरावट आई है। प्रदेश की विकास दर 8.1 फीसदी से घटकर 6.8 फीसदी पर पहुंच गई है।
शिमला [प्रकाश भारद्वाज]: हिमाचल में बेशक प्रतिव्यक्ति आय बढ़ने के साथ-साथ हर नागरिक अमीर हुआ हो लेकिन इसके विपरीत राज्य की विकास दर में गिरावट आई है। प्रदेश की विकास दर 8.1 फीसदी से घटकर 6.8 फीसदी पर पहुंच गई है। जो राष्ट्रीय विकास दर 7.1 फीसदी से भी कम है। राज्य में प्रति व्यक्ति आय पिछले वर्ष के 135621 रुपये के मुकाबले बढ़कर इस वित्त वर्ष में 147,277 रुपये हो हई है।
हिमाचल के 2016-17 वित्त वर्ष के आर्थिक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने वीरवार को यह रिपोर्ट सदन में पेश की। पिछले कई साल से लगातार बढ़ रही विकास दर में गिरावट आना चिंता की बात है। रिपोर्ट में सामने आया है कि निजी क्षेत्र में निर्माण कार्य बंद हो गया है वहीं कृषि की स्थिति भी चिंताजनक हो गई है। राज्य की अपनी आमदनी में भी कोई बड़ा इजाफा नहीं हुआ है। इसके फलस्वरूप औद्योगिक क्षेत्र में लोगों के हाथ से रोजगार चला गया। लोगों का नकद आय या फिर रोजगार केंद्रित होने के कारण राज्य में खेतीबाड़ी को झटका लगा है। बावजूद इसके प्रदेश की अर्थव्यवस्था कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों पर निर्भर करती है।
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पिछले तीन दशकों से अर्थव्यवस्था में कोई विशेष उतार-चढ़ाव नहीं आया है। सरकार के प्रयासों के बावजूद उद्योग क्षेत्र गति नहीं पकड़ पाया है। सिर्फ यही संतोष की बात है कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय डेढ़ लाख रुपये तक पहुंचने वाली है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था बागवानी से होते हुए कृषि व ऊर्जा, पर्यटन की दिशा में आगे बढ़ रही है। बाजार में बिजली का मूल्य गिरने से ऊर्जा क्षेत्र को जोर का झटका लगा है। राज्य की तीन साल से चली आ रही आर्थिक स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो नजर आता है कि साल भर पहले तक प्रदेश की आठ प्रतिशत से आगे निकल गई थी। लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान विकास दर सात प्रतिशत से नीचे रहेगी।
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तीन साल में ऐसे हालात पहली बार पैदा हुए हैं। पहले दो साल में दो प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई थी। सर्वेक्षण में सामने आया है कि गांव का युवा खेतों में काम करने के बजाए निजी क्षेत्र में पांच हजार रुपये की नौकरी करने में अधिक रुचि लेता है। जिसका असर कृषि क्षेत्र पर दिखा। फल राज्य में सेब बागवानी की रीढ़ है। इसके साथ फूल, शहद, मशरूम सहित हॉप्स उत्पादन की ओर प्रयास किए जा सकते हैं। प्रदेश का मौसम बेमौसमी सब्जी उत्पादन के लिए भी अधिक उपयुक्त है। केंद्र सरकार प्रत्येक व्यक्ति को बैंक से जोड़ना चाहती है, लेकिन प्रदेश के बीस हजार गांवों में डेढ़ हजार गांव अभी तक बैंकिंग सुविधा से वंचित हैं। विकट भौगोलिक परिस्थितियों के चलते लोग बैंकिंग सुविधाओं के लाभ से वंचित हैं।