Move to Jagran APP

जेबीटी नियुक्ति मामला : अब कंप्यूटर व हार्ड डिस्क की होगी सीएफएसएल जांच

हरियाणा में पिछले साल चयनित 9455 जेबीटी टीचर की नियुक्ति मामले में मंगलवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में सील हार्ड डिस्क व कंप्यूटर चंडीगढ़ के सीएफएसएल लैब को जांच के लिए सौंप दी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 05:34 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 06:04 PM (IST)

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हरियाणा में पिछले साल चयनित 9455 जेबीटी टीचर की नियुक्ति मामले में मंगलवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में सील हार्ड डिस्क व कंप्यूटर चंडीगढ़ के सीएफएसएल लैब को जांच के लिए सौंप दी।

loksabha election banner

सुनवाई के दौरान सरकार व कर्मचारी चयन आयोग की काफी कोशिश के बाद भी हाई कोर्ट की एकल पीठ यह मानने को तैयार नहीं हुई कि रिजल्ट में दो अंक न देना तकनीकी गलती है। हाईकोर्ट ने इन चयनित टीचरों को नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगा रखी है।

यह भी पढ़ें : 4.29 लाख डेरा प्रेमियों ने की पानीपत की सफाई

पीठ ने अस्टिटेंट सोलिस्टर जनरल चेतन मित्तल को निर्देश दिया कि वह परिणाम से जुड़ा सी किया गया कंप्यूटर व हार्ड डिस्क की सीएफएसएल लैब से जांच करवा कर यह पता लगावाएं कि इनमें कब-कब डाटा फीड किया गया हैं। इस मामले में सरकार व आयोग इस मामले में वास्तविक रिकार्ड पेश नहीं कर पा रहा है।

यह भी पढ़ें : कुरुक्षेत्र के पास जीटी रोड पर बस पलटी, 29 घायल

पीठ ने अस्टिटेंट सोलिस्टर जनरल से कहा कि वह यह बताएं कि जांच की पूरी रिपोर्ट कब तक कोर्ट में पेश की जाएगी। कोर्ट ने प्रोगामर सविता व कर्मचारी चयन आयाेग को भी इस जांच में सीएफएसल से पूर्ण सहयोग करने का निर्देश दिया। इस मामले पर बुधवार को सुनवाई जारी रहेगी।

इससे पहले हाईकोर्ट के आदेश पर कर्मचारी चयन आयोग के सचिव महावीर कौशिक व प्रोग्रामर सविता ने हलफनामा दायर कर कहा है कि अंक देने में किसी भी तरह की धांधली नही हुई है। प्रोग्रामर सविता ने हलफनामे में कहा कि रिजल्ट अपलोड करते एमए वाले उम्मीदवारों काे मिलने वाले अतिरिक्त दो अंक जोड़े नहीं गए थे। इसे कुल प्राप्तांक में जेा़उ दियागया था।

यह भी पढ़ें : एचटेट अक्टूबर नहीं नवंबर में होने की संभावना

उन्होंने कहा कि फाइनल रिजल्ट तैयार किया गया था उसमें तकनीकी गड़बड़ी के कारणएमए पास उम्मीदवारों के दो अंक साक्षात्कार में नही जोड़े गए लेकिन बाद में गलती सामने आने के बाद उसे ठीक कर दिया गया था । हालांकि टोटल में कोई गलती नहीं थी। उसी के आधार पर मेरिट लिस्ट बना कर रिजल्ट वेब साइट पर लोड कर दिया गया।

कर्मचारी चयन आयोग के सचिव महावीर कौशिक ने हाईकोर्ट को बताया कि रिजल्ट की पीडीएफ को अंतिम रूप देने से पहले बोर्ड द्वारा इसे चेक किया गया था। परिणाम वेबसाइट पर डालने के बाद जब बोर्ड को पता चला कि साक्षात्कार में एमए पास उम्मीदवारों को मिलने वाले अतिरिक्त दो अंक पहले ही लिखति परीक्षा क अंक में जोउ़ दिए गए हैं। यह एक तकनीकी गलती थी जबकि टोटल सही था।

एक स्नातकोत्तर (एमए) योग्यता प्राप्त अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि सरकार के नियमों के अनुसार चयन प्रक्रिया के दौरान उसे शैक्षणिक योग्यता के दो अंक अधिक मिलने थे। शैक्षणिक योग्यता में इनका लाभ दे दिया गया, लेकिन इंटरव्यू में हासिल अंकों में से उसके दो अंक काट लिए गए। ऐसे में वह चयन से वंचित रह गया। हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.