हरियाणा खुद प्यासा रहकर दिल्ली की बुझा रहा प्यास
हरियाणा में भीषण जल संकट से लोग जूझ रहे हैं। इसके बावजूद हरियाणाखुद प्यासा रहकर दिल्ली की प्यास बुझा रहा है। ...और पढ़ें

जेएनएन, चंडीगढ़। भीषण गर्मी के बीच हरियाणा में जल संकट और गहरा गया है। नदियों और नहरों में पानी कम होने से गांव और शहरों में पेयजल सप्लाई आधी से भी कम रह गई। अब पूरा दारोमदार ट्यूबवेलों और वाटर टैंकरों पर है जो प्रदेशवासियों की प्यास बुझाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। दूसरी ओर, हरियाणा अपने यहां संकट के बावजूद दिल्ली को पानी दे रहा है।
भाखड़ा डैम पर यमुना में घटा जलस्तर, भरी गर्मी में बढ़ी हरियाणा के लोगों की दिक्कतें
पेयजल के लिए नहरी पानी पर निर्भर हरियाणा में फिलहाल नदियां सूखने के कारण करीब चार हजार क्यूसेक पानी की कमी चल रही है। खुद प्यासे हरियाणा को भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) से भी कम पानी मिल रहा, जबकि दिल्ली को पानी देने की मजबूरी में कई जिलों में पेयजल के लिए मारामारी की स्थिति है।

हरियाणा के कई शहरों में जल संकट से लोग परेशान हैं।
भाखड़ा बांध से हरियाणा को मात्र पांच हजार क्यूसेक पानी मिल रहा है। इसमें से भी 200 क्यूसेक पानी राजस्थान चला जाता है। इसके अलावा 338 क्यूसेक पानी संगरूर और 496 क्यूसेक पानी दिल्ली भेजा जा रहा है। करीब 1650 क्यूसेक पानी दिल्ली जाता है। इस तरह भाखड़ा से 3966 क्यूसेक पानी ही हरियाणा के काम आ रहा है।
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यही हाल यमुना नदी का है जिसके तीन हजार क्यूसेक पानी में से 650 क्यूसेक दिल्ली चला जा रहा है। हथनीकुंड बैराज से मूनक नहर तक 800 क्यूसेक पानी जमीन पी जाती है क्योंकि यह नहर कच्ची है। इस तरह नदी का सिर्फ 1550 क्यूसेक पानी ही हरियाणा को मिलता है। ऐसे में यमुना और भाखड़ा से कुल 5516 क्यूसेक पानी मिल रहा है जो प्रदेश के लोगों और खेतों की प्यास बुझाने के लिए बहुत कम है।
दस जिलों में स्थिति खराब
हरियाणा में 58 फीसद भूमिगत जल पीने योग्य नहीं। इस कारण प्रदेश के दस जिले गंभीर जल संकट से जूझ रहे हैं। रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, सोनीपत, झज्जर, रोहतक, जींद, हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और भिवानी जिले में पेयजल संकट ज्यादा है। इन क्षेत्रों में भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे पहुंच चुका और लवणता अधिक होने के कारण पीने योग्य नहीं।
ट्यूबवेलों पर बढ़ा बोझ
नहरों में पानी कम होने से 120 लाख एकड़ फीट पानी की आपूर्ति की जिम्मेदारी आठ लाख ट्यूबवेलों पर आ गई है। इसके बावजूद 6804 गांवों में से 4189 को प्रति व्यक्ति निर्धारित 70 लीटर पानी नहीं मिल रहा। इसी तरह 78 शहरी क्षेत्रों में से 47 में निर्धारित प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी उपलब्ध नहीं। इनमें कहीं 70 तो कहीं 110 लीटर पानी प्रति व्यक्ति सप्लाई हो रहा है।
17 फीसद खेतों को नहरी पानी
प्रदेश में 40 लाख हेक्टयेर कृषि योग्य भूमि है। यदि भाखड़ा से 9500 क्यूसेक और यमुना से तीन हजार क्यूसेक से अधिक पानी आए तब जाकर प्रदेश की 33 फीसद कृषि भूमि को नहरी पानी मिलता है। वर्तमान में मिल रहे पानी से सिर्फ 17 फीसद खेतों की ही सिंचाई हो पाएगी। इसके अलावा पशुओं के पीने के लिए तालाबों में भी पानी का संकट है।
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एसवाइएल नहर बुझा सकती है प्याससतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाइएल) बनने से हरियाणा की प्यास काफी हद तक बुझाई जा सकती है। पंजाब की नदियों से हरियाणा को कुल 3.5 मीटिक एकड़ फीट (एमएएफ) हिस्सा मिलना चाहिए, जबकि मिलता है सिर्फ 1.6 एमएएफ। शेष 1.9 एमएएफ पानी लेने के लिए हरियाणा लड़ाई लड़ रहा है।
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'पेयजल संकट से निपटने को सरकार गंभीर
'' पेयजल संकट से निपटने के प्रति सरकार गंभीर है। नहर आधारित जलघरों में पर्याप्त पानी का भंडारण करने के साथ ही दूरदराज के क्षेत्रों में टैंकरों के सहारे लोगों की प्यास बुझाई जाएगी। इकलौते ट्यूबवेल से सप्लाई वाले क्षेत्रों में नए ट्यूबवेल लगाएंगे ताकि खराबी की स्थिति में पानी की सप्लाई रुके नहीं। रोहतक और भिवानी में पर्याप्त सप्लाई के लिए भालौट सब-ब्रांच में ज्यादा पानी छोड़ा जाएगा। नूंह, पलवल, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और जींद में टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है।
-डॉ. बनवारी लाल, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी राज्य मंत्री, हरियाणा।

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